गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में बड़ा संशोधन किया हैं। एमएचए ने एलजी को अधिक शक्ति देने वाली नई धाराओं को अधिनियम में जोड़ा हैं। बता दें जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर 2024 से पहले विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
श्रीनगर: गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में बड़ा संशोधन किया हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन होने के बाद भी उपराज्यपाल के पास पुलिस, लोक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो से संबंधित मामले में अंतिम निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार रहेगा। प्रशासनिक सचिवों की नियुक्ति और स्थानांतरण पर भी उपराज्यपाल की सहमति लेना अति आवश्यक होगा।
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार (१२ जुलाई) को जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र सरकार नियम और कार्य संचालन अधिनियम 2019 में संशोधन करते हुए विशेष अधिकार और शक्तियां उपराज्यपाल को प्रदान की गई हैं। बता दें जम्मू-कश्मीर में इसी वर्ष 30 सितंबर माह से पहले विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। चुनाव आयोग इस संदर्भ में अपनी तैयारियों में लगा हुआ हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना
सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है और चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद प्रचार में जुट जाएंगे। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में दिल्ली जैसी व्यवस्था लागु हो सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमे कहां गया है कि प्रशासनिक सचिवों, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की नियुक्तियों-स्थानांतरण और अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के संवर्ग पदों से संबंधित विषयों के मामले में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा। उनकी सहमति के बिना कोई भी प्रस्ताव स्वीकार भी नहीं किया जाएगा।
कौन-कौनसे संशोधन हुए?
1. महाधिवक्ता और न्यायालय की कार्यवाहियों में महाधिवक्ता की सहायता करने के लिए विधि अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव और न्याय तथा संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री के माध्यम से उपराज्यपाल के अनुमोदन के लिए उनके समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
2. अभियोजन स्वीकृति करने, अस्वीकार करने या अपील को दायर करने के संबंध में कोई भी, किसी भी प्रकार का प्रस्ताव विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाना सुनिश्चित होगा।
3. कारागार, अभियोजन निदेशालय और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के संबंध में पेश किये गए प्रस्ताव भी मुख्य सचिव के माध्यम से गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा उपराज्यपाल के पास भेजे जाएंगे।