Jumma Break: असम की हिमंत सरकार ने लिया फैसला, विधानसभा में जुमे की नमाज के लिए ब्रेक पर लगाई रोक

Jumma Break: असम की हिमंत सरकार ने लिया फैसला, विधानसभा में जुमे की नमाज के लिए ब्रेक पर लगाई रोक
Last Updated: 30 अगस्त 2024

असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए राज्य में जुम्मा ब्रेक पर रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए ट्वीट किया कि राज्य सरकार ने 2 घंटे के जुम्मा ब्रेक को समाप्त करने का निर्णय लिया है।

Aasam: असम से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए असम विधानसभा में जुमे की नमाज के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के ब्रेक पर रोक लगा दी है। इस फैसले के अनुसार, अब विधानसभा के मुस्लिम कर्मचारियों को जुमे की नमाज के लिए दो घंटे का ब्रेक नहीं मिलेगा।

सीएम हिमंत बिस्वा ने दी जानकारी

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट करते हुए कहा- "सरकार ने विधानसभा में होने वाले 2 घंटे के जुम्मा ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक (ब्रिटिश शासन) बोझ के एक और निशान को हटा दिया है। यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने शुरू की थी। इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मैं स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों का आभार व्यक्त करता हूं।"

इस ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री ने विधानसभा में लिए गए इस निर्णय की सराहना की और इसे एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में प्रस्तुत किया, जो विधानसभा की कार्यक्षमता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए किया गया है।

कर्मचारियों को दो घंटे का मिलता था ब्रेक

असम विधानसभा में पहले हर शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों और कर्मचारियों को नमाज अदा करने के लिए दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक दो घंटे का ब्रेक दिया जाता था। अब सरकार ने इस नियम को बदल दिया है, और भविष्य में शुक्रवार को कोई ब्रेक नहीं दिया जाएगा।

विधायकों के समर्थन से लिया फैसला

असम विधानसभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि शुक्रवार को नमाज के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के ब्रेक को समाप्त किया जाए। इस निर्णय को सभी विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

असम विधानसभा में लिए गए इस फैसले का आधार यह है कि लोकसभा, राज्यसभा और अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी नमाज के लिए कोई ब्रेक नहीं दिया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, असम विधानसभा के अध्यक्ष ने भी इस ब्रिटिश युग के नियम को समाप्त करने का फैसला किया, जिससे विधानसभा की कार्यवाही में किसी भी प्रकार की रुकावट को दूर किया जा सके।

 

 

 

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