किसान आंदोलन : गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेडिंग, राजधानी दिल्ली में धारा-144 लागू , बॉर्डर पर लगा लंबा जाम, 9 मेट्रो स्टेशनों के गेट12 घंटे

किसान आंदोलन : गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेडिंग, राजधानी दिल्ली में धारा-144 लागू , बॉर्डर पर लगा लंबा जाम, 9 मेट्रो स्टेशनों के गेट12 घंटे
Last Updated: 14 फरवरी 2024

किसान आंदोलन : गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेडिंग, राजधानी दिल्ली में धारा-144 लागू , बॉर्डर पर लगा लंबा जाम, 9 मेट्रो स्टेशनों के गेट12 घंटे के लिए बंद

किसान आंदोलन, एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है, और किसान राजधानी दिल्ली की तरफ निकल पड़े हैं, पुलिस और बाकि अधिकारी हर कोशिश कर रहे हैं की कोई भी अप्रिय घटना ना घटे और स्थिति नियंत्रण में रहे, Subkuz.com के सहयोगी पत्रकार पूरी स्थिति पर अपनी नजर बनाये हुए हैं । जैसा की पिछले आंदोलन के बारे में हम सब जानते हैं, पिछला किसान आंदोलन उन तीन कानूनों के विरोध में लाया गया था जिसे सरकार के अनुसार किसानों के हीत में बनाया गया था, आखिरकार सरकार को वो तीनों कानून वापस लेने पड़े थे MSP की गारंटी और कई ऐसे मुद्दे भी उस समय थे और किसान नेताओं ने कहा भी था की अगर सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो हम फिर आंदोलन करेंगे  और हुआ भी वही, फिर से एक बार किसान सड़कों पर हैं और फिर से एक बार वही नजारा देखने को मिल रहा है  Subkuz.com के साथ बने रहिये और हर अपडेट पढ़ते रहिये  

नई दिल्ली: किसान आंदोलन के चलते किसानों के दिल्ली कूच की घोषणा के बाद दिल्ली से लगने वाली सीमाओं को सील कर दिया है. किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेडिंग और लोहे के कंटीले तार लगाकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिए है. पुलिस ने सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी के लिए ड्रोन और CCTV कैमरों का उपयोग किया जा रहा हैं। 

Subkuz.com के पत्रकारों ने बताया कि पुलिस ने सुरक्षा के देखते हुए राजधानी में धारा-144 लागू कर दी है. किसानों के दिल्ली पहुंचने से पहले ही नेशनल हाईवे पर वाहनों की लंबी कतार देखी जा सकती है. रजोकरी बॉर्डर के पास भी ट्रेफिक जाम लगा हुआ है जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पद रहा है. किसान आंदोलन का असर दिल्ली की लाइफलाइन कहे जाने वाली मेट्रो पर भी पड़ रहा है। आदेश के बाद केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन का गेट बंद कर दिया गया। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने खास ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की है. बताया है कि दिल्ली कूच में ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान हैं।

बॉर्डर पर लगा लंबा जाम

जानकारी के अनुसार किसान आंदोलन के कारण बॉर्डर पर वाहनों की लंबी क़तर लगी हुई है. किसानों को रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेड्स ने पिछले किसान आंदोलन की यादें ताजा कर दी। बॉर्डर के आस-पास किसान कहीं भी नहीं थे उसके बावजूद दिल्ली पुलिस के सख्त बंदोबस्त और जांच के कारण दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और एनएच-9 पर 8 किमी तक जाम लगा हुआ था।

किसानो को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने कंक्रीट बैरिकेड्स के अलावा राजमार्ग पर टायर किलर्स भी लगाए थे ताकि किसान "किसी भी कीमत पर" राजधानी में प्रवेश नहीं कर सकें। पुलिस ने बैरिकेड्स पर कीलें भी ठोंक दी थीं ताकि प्रदर्शनकारी उनके ऊपर न चढ़ सकें। दिल्ली पुलिस ने यूपी गेट पर अतिरिक्त बैरिकेड्स लगा दिए, जिसके कारण वाहनों को गुजरने में दिक्कत आ रही है. पुलिस ने वाहनों को कौशांबी, इंदिरापुरम, खोड़ा कॉलोनी और आनंद विहार की सड़कों  की ओर मोड़ दिया।

सिंघू बॉर्डर पर फंसे मरीजों को हुई परेशानी

किसानों द्वारा 2020-21 के 377 दिन के विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लगभग 25 महीने बाद, अधूरे वादों को लेकर उनका 'दिल्ली चलो' आह्वान मंगलवार को जाग उठा। अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए  लोहे की बैरिकेड्स, सीमेंट कंक्रीट के ब्लॉक, कंटीले तार और वैकल्पिक मार्गों को रोकने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों को देखकर हजारों यात्रियों, कारखाने के श्रमिकों और स्थानीय लोगों को गुस्सा और निराशा हुई।

पुलिस ने बताया कि राजमार्ग पर एक लेन को ट्रैफिक के लिए खुला छोड़ने का ध्यान रखा था। इसका उपयोग एम्बुलेंस को कम गति से गुजरने की अनुमति देने के लिए किया गया था। यह उदारता उन हजारों लोगों के लिए नहीं थी जो हरियाणा और पंजाब में अपने घरों से निकलकर दिल्ली पहुंचने के लिए बसों में सवार हुए थे। सिंघु बॉर्डर पर फ्लाईओवर के नीचे संकरा रास्ता है, जिसके एक तरफ कंटीले तार लगे हुए थे. वहां से पैदल चलने वालों के लिए खतरा था. मरीजो को  नाकाबंदी के दूसरी तरफ अस्पताल जाना पड़ा।

टिकरी बॉर्डर के पास अस्पताल परिसर में की तारबंदी

पुलिस द्वारा लगाई गई नाकेबंदी के कारण अस्पताल से लेकर मरीजों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। कारोबारियों और उद्योगपतियों को इस व्यवधान के कारण नुकसान होने का डर है. हरियाणा से बहादुरगढ़ के सेक्टर 9 और 9ए तक वाहनों की आवाजाही का रास्ता बदल दिया है. दिल्ली में प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए इन सेक्टरों के प्रवेश द्वार पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं।

अस्पताल के मालिक दीपक खट्टर ने Subkuz.com के पत्रकारों से बात करते हुए कहां कि सरकार और पुलिस के साथ बातचीत के होने के बाद भी अस्पताल परिसर के सामने बैरिकेड्स लगाए गए थे। कहां कि अस्पताल में 200 मरीज है. तथा नए मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाएंगे। भगवान न करें अगर किसी मरीज की हालत खराब हो जाती है और उसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की जरूरत पड़े तो उसके सुरक्षित शिफ्टिंग की गारंटी कौन देगा।

जानकारी के अनुसार अस्पताल प्रशासक दीपक कुमार ने कहां कि बैरिकेड्स आने से ठीक पहले एक मरीज को व्हीलचेयर और एक को स्ट्रेचर पर ट्रांसफर किया। टिकरी बॉर्डर के एक तरफ मुंडका और दूसरी तरफ बहादुरगढ़ है. 2020-21 में प्रदर्शनकारी किसानों ने यहां तंबू गाड़ दिए थे और महीनों तक वहीं डेरा जमाए रखा था. जिससे काफी परेशानी हुई थी।

दिल्ली मेट्रो के गेट बंद, लोग हुए परेशान

दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने किसान आंदोलन के कारण नौ मेट्रो स्टेशनों के गेट करीब 12 घंटे के लिए बंद कर दिए, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों के मुताबिक, केंद्रीय सचिवालय, राजीव चौक, उद्योग भवन, पटेल चौक, मंडी हाउस, बाराखंभा रोड, जनपथ, खान मार्केट और लोक कल्याण मार्ग स्टेशनों के गेट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक बंद थे।

मेट्रो स्टेशन पर फंसे एक यात्री ने subkuz.com के पत्रकार को बताया कि राजीव चौक स्टेशन पर गेट नंबर 4 और 7 खुले थे. जब मैंने गेट नंबर 2 से बाहर निकलने की कोशिश की तो स्टाफ ने मुझे रोका और कहां कि यह गेट बंद है, किसी दूसरे गेट से बाहर निकले। स्टेशन पर कोई अनाउंसमेंट नहीं किया गया था. स्टेशन से बाहर निकलने के लिए मेरा लगभग 15 मिनट बर्बाद हो गया।

किसान आंदोलन में 32 से बढ़कर 50 हुए संगठन

किसान आंदोलन के शुरू में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) में 32 संघ शामिल थे. लेकिन असहमतियों के कारण इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है. इन संगठनों में - एसकेएम (पंजाब), एसकेएम (गैर-राजनीतिक), किसान मजदूर मोर्चा (KMM), संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम), बीकेयू (एकता उग्राहण), बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) और बीकेयू (एकता डाकौंडा) आदि संगठन हैं।

 किसान आंदोलन क का बड़ा चेहरा

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर- किसान आंदोलन का मोर्चा इस बार इन दोनों क‍िसान नेताओं ने ही संभाला है. क‍िसान नेता सरवन स‍िंह पंढेर  पंजाब के अमृतसर ज‍िले का का रहने वाला है. सरवन सिंह किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव है. सतनाम सिंह पन्नू ने किसान संघर्ष कमेटी से अलग होकर 2007 में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का गठन किया। पंढेर इस कमेटी में अहम भूम‍िका न‍िभा रहे है.पंढेर को संगठन के एक बड़े चेहरे के तौर पर भी देखा जाता हैं।

जगजीत सिंह डल्लेवाल -  क‍िसान आंदोलन की बागडोर संभालने वाले एक और बड़े क‍िसान नेता जगजीत स‍िंह डल्‍लेवाल है. साल 2022 में उनके नेतृत्‍व में पंजाब में बड़ा क‍िसान आंदोलन क‍िया था. द‍िल्‍ली कूच करने वाले करीब 50 क‍िसान संगठनों का नेतृत्‍व जगजीत स‍िंह ही कर रहे है. सभी क‍िसान संगठन प्रमुख रूप से पंजाब में ही सक्र‍िय हुए है. जगजीत स‍िंह डल्‍लेवाल ने भारतीय क‍िसान यून‍ियन (स‍िद्धूपुर) की बागडोर संभाली हैं।

किसान आंदोलन की मुख्य वजह

जानकारी के अनुसार किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन कर रहे है. किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर नजर आ रहे है. किसानो की मांग...

* भारत सरकार  न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की उन्हें गारंटी दे।

* लखीमपुर खीरी मामले के सभी दोषियों को कानूनी सजा मिले और पीड़ितों को न्याय मिले।

* 2020 में किसान आंदोलन के दौरान जितने भी मुकदमे हुए थे उन सभी रद किया जाए।

* किसानों पर प्रदूषण कानून लागू न हो।

* किसान कृषि ऋण माफ़ हो।

* कृषि वस्तुओं, दूध, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम किया जाए।

*  किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू कर, 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए।

 

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