Lok Sabha Election 2024: हिमाचल में सजने लगा है चुनावी अखाडा... बस अब बजने को है नगाड़ा, कांग्रेस और भाजपा में सियासी जंग
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच सियासी जंग का नगाड़ा बजने वाला है. कांग्रेस में प्रत्याशी की बगावत को हवा देते हुए भाजपा ने इस चुनावी अखाड़े को ही बदल दिया है. लेकिन अभी तक दोनों पार्टियों ने प्रमुख पहलवान (प्रत्याशी) को नहीं चुना है. दोनों दल चुनाव लड़ने के लिए कठोर कसरत कर रहे है. दोनों दल चुनाव को लेकर कड़ी तैयारी कर रहे है, इनके साथ ही निर्वाचन आयोग ने भी चुनाव में अम्पायरिंग करने के लिए कमर कश ली हैं।
प्रादेशिक नेताओं के लिए है प्रतिष्ठा का सवाल
Subkuz.com की जानकारी के अनुसार दो साल पहले उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से मंडी की सीट छीनकर प्रतिभा सिंह को सांसद बनाया था, लेकिन अब आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस के पास चारों सीटों पर अपना दम दिखाना बहुत बड़ी चुनौती है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा का गृह राज्य होने के चलते के यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा का सवाल है. हिमाचल में BJP और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरा दल चुनाव मैदान में नहीं आ रहा हैं।
बताया गया है कि कांग्रेस के घर में पड़ रही फुट एवं विधायकों की बगावत के बाद सीएम श्री सुक्खू और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह के लिए भी कठोर दंगल है. हमीरपुर, कांगड़ा और शिमला इन तीनो सीटों पर भाजपा का राज है. कांग्रेस की लिए सभी सीट को जीतना बहुत कठिन काम है और भारतीय जनता पार्टी के लिए तीनों दुर्गों को सलामत रखकर मंडी दुर्ग पर भी विजय हासिल करने का लक्ष्य होगा।
राम मंदिर और कांग्रेस में फुट से बंदी आस : BJP
जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी को हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम का जादू दिखाना हैं. भाजपा को उम्मीद है कि गत दो आम चुनाव में मोदी फैक्टर ने जीत दिलाई है ठीक वैसे ही हो। राम मंदिर का मुद्दा भी भाजपा के लिए कारगर सिद्ध हो सकता है. भाजपा मोदी की नीतियों और योजनाओं बखान करने के लिए फील्ड में उतर चुकी है. चुनाव आचार संहिता लगने के पहले ही केंद्र सरकार ने उद्घाटन और शिलान्यास के पटाखे फोड़ दिए है. भाजपा कांग्रेस नेताओं को अपने साथ मिलाकर चुनाव लड़ने पर विचार-विमर्श कर रही हैं।
साल 2004 से कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर
जानकारी मिली है कि वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने शिमला, मंडी और कांगड़ा सीट पर विजय हासिल की थी. केवल हमीरपुर सीट से पार्टी को हार झेलनी पड़ी. वर्ष 2009, साल 2014 और वर्ष 2019 में कांग्रेस का प्रदर्शन लचर (कमजोर) होता गया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपमान जनक हार मिली थी. 2021 में हुए उपचुनाव के दौरान प्रतिभा सिंह ने मंडी संसदीय सीट को कांग्रेस की झोली में डाला था। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के चारों खाने चित कर दिए थे. वर्ष 2009 में भाजपा तीन और कांग्रेस ने एक सीट पर राज किया था।
पहाड़ में चुनाव कराना चुनौती
जानकारी के अनुसार हिमाचल में लोकसभा चुनाव में नेताओं और पार्टियों की ही नहीं बल्कि मतदाताओं की भी कठिन परीक्षा होगी। यहां पर अभी भी कई क्षेत्र बर्फ से ढके हुए है और मई महीने में यह बर्फ पिघलती है. प्रदेश में 70-85 मतदान केंद्र 10,300 से 12,500 फुट की ऊंचाई स्थापित किए जाते है. इन मतदान केंद्रों पर बुजुर्गों, दिव्यांगों का पैदल पहुंचना कठिन है. राज्य निर्वाचन विभाग द्वारा मतदान प्रतिशतता को बढ़ाने के लिए चुनाव अभियान शुरू कर दिए हैं।