मणिपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के दौरान एक जवान घायल हो गया। उसे तत्काल इलाज के लिए हेलीकॉप्टर के जरिए अस्पताल भेजा गया। सुरक्षाबल जिरीबाम में उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में लगे हुए हैं।
Manipur Jiribam Encounter: सोमवार (11 नवंबर 2024) को मणिपुर के इम्फाल ईस्ट जिले में उग्रवादियों द्वारा किए गए हमले में एक किसान घायल हो गया। उग्रवादियों ने पास के पहाड़ी इलाकों से गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे किसान घायल हो गया। यह हमला इम्फाल घाटी में काम कर रहे किसानों पर कुकी उग्रवादियों के तीसरे दिन के हमले का हिस्सा था। सुरक्षा बलों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद एक छोटी मुठभेड़ हुई। घायल किसान को यांगांगपोकपी पीएचसी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया, जहां उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।
महिला किसान की हत्या
शनिवार (9 नवंबर 2024) को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक 34 वर्षीय महिला किसान को खेत में काम करते हुए गोली मार दी गई। यह हमला इलाके में और तनाव का कारण बन गया है, विशेष रूप से उस समय जब कुकी उग्रवादियों द्वारा लगातार हमले किए जा रहे थे। इसके बाद रविवार को संनसबी, साबुंखोक खुन्नौ और थम्नापोकपी क्षेत्रों में भी हमले किए गए, जिससे इलाके में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया।
मणिपुर में जातीय हिंसा का अतीत
मणिपुर में जातीय हिंसा की लंबी कहानी रही है, जो विशेष रूप से मई 2023 से अधिक हिंसक हो गई है। पिछले एक साल में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं। इस हिंसा में इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी इलाकों में बसे कुकी समुदाय के बीच संघर्ष हो रहा है। मणिपुर की हिंसा का इतिहास जातीय और राजनीतिक संघर्षों से जुड़ा हुआ है, जिसमें कुकी, नगा और मैतेई समुदायों के बीच लंबे समय से तनाव रहा है।
राज्य में उग्रवाद और अस्थिरता
मणिपुर में 1990 के दशक से उग्रवादी संगठनों का उदय हुआ है, जिनका उद्देश्य अपनी जातीय पहचान की रक्षा करना और राज्य से अलगाव की मांग करना था। इसके परिणामस्वरूप, राज्य में अक्सर हिंसा, गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई होती रही है, जिससे राज्य की सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता पर असर पड़ा है। मणिपुर के लोग स्वतंत्रता, पहचान और स्वशासन के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे राज्य में राजनीतिक स्थिति और भी जटिल हो गई है।