हाथरस में सूरज पाल ऊर्फ भोले बाबा के सत्संग में 120 से अधिक लोगों की मौत के बाद एक और ऐसा हादसा होना गंभीर सवाल खड़े करता है। यह दर्शाता है कि प्रशासन और आयोजकों ने पिछले हादसे से सबक नहीं लिया। भीड़ प्रबंधन में चूक और सुरक्षा उपायों की अनदेखी ने एक बार फिर लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है।
Meerut: मेरठ के परतापुर स्थित शताब्दीनगर में शुक्रवार को पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा के दौरान भगदड़ मच गई। बताया जा रहा है कि कथा के आखिरी दिन वीआईपी एरिया में प्रवेश को लेकर गेट पर भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ जैसे हालात बन गए। इस हादसे में कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं शामिल हैं।
एंट्री गेट पर मचा हंगामा
कथा सुनने के लिए हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। बताया गया कि हर दिन डेढ़ लाख लोग कथा सुनने आ रहे थे, जबकि अंतिम दिन यह संख्या ढाई लाख तक पहुंच गई। एंट्री गेट पर भीड़ ज्यादा होने के कारण धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इसी दौरान कुछ महिलाएं और बुजुर्ग गिर पड़े, जिससे भगदड़ जैसे हालात हो गए। घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
आईजी और एसएसपी ने दी सफाई
घटना के बाद आईजी मेरठ ने कहा कि कथा के दौरान कोई भगदड़ जैसी स्थिति नहीं बनी। एक महिला के गिरने से मामूली अव्यवस्था हुई थी, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है। वहीं, एसएसपी विपिन ताडा ने भी कहा कि पुलिस और प्रशासन की पूरी तैनाती है, और भगदड़ जैसी कोई स्थिति नहीं है। केवल कुछ महिलाओं को हल्की चोटें आई हैं, जिन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया।
प्रशासन पर उठे सवाल
हाथरस के भोले बाबा सत्संग हादसे के बाद एक बार फिर ऐसी घटना ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के अभाव के चलते यह हादसा हुआ। सवाल यह है कि क्या प्रशासन ने पहले की घटनाओं से सबक नहीं लिया?
भीड़ बढ़ने से अव्यवस्था
कथा स्थल पर पंडाल के भीतर जगह कम पड़ गई, जबकि बाहर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्र हो गई। वीआईपी एरिया में प्रवेश को लेकर गेट पर हंगामा हुआ, जिससे अव्यवस्था फैली। हालांकि, कथा कार्यक्रम जारी है, और पुलिस प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है।