महाकुंभ मेला 2025: जानें कुंभ के चार प्रमुख प्रकार और उनका महत्व

महाकुंभ मेला 2025: जानें कुंभ के चार प्रमुख प्रकार और उनका महत्व
Last Updated: 16 घंटा पहले

कुंभ मेला, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है, हर 12 साल में देश के चार प्रमुख पवित्र स्थानोंप्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है. इस बार, कुंभ मेला प्रयागराज में मकर संक्रांति से लेकर महाशिवरात्रि तक मनाया जाएगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से पहुंचते हैं.

क्या आपको पता है कि कुंभ के चार प्रमुख प्रकार होते हैंकुंभ, महाकुंभ, अर्धकुंभ और पूर्णकुंभ आइए जानते हैं इन प्रकारों में क्या अंतर है...

·       कुंभ मेला: महाकुंभ मेला हर 12 वर्षों में भारत के चार प्रमुख पवित्र स्थलोंहरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में से किसी एक स्थान पर आयोजित किया जाता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु और संत पवित्र नदियों में स्नान कर पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। महाकुंभ एक विशाल धार्मिक उत्सव के रूप में उभरता है, जिसमें आस्था और आत्मिक शुद्धता की प्रक्रिया पूरी होती है।

·       अर्ध कुंभ: अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल में आयोजित किया जाता है और यह केवल प्रयागराज तथा हरिद्वार में आयोजित होता है। इस मेले का मुख्य उद्देश्य पवित्र नदियों में स्नान करना होता है, जिसे भक्तगण अपने पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धता के लिए करते हैं। अर्ध कुंभ मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है, जहां लाखों श्रद्धालु एकत्रित होकर आस्था और श्रद्धा के साथ स्नान करते हैं।

·       पूर्ण कुंभ: पूर्ण कुंभ मेला हर 12 साल में संगम तट, प्रयागराज में आयोजित किया जाता है और इसका विशेष धार्मिक महत्व है। इस मेले की तिथि ग्रहों के शुभ संयोग पर निर्धारित की जाती है, जिससे यह आयोजन लाखों श्रद्धालुओं के लिए बेहद खास बन जाता है। इस अवसर पर, देश-विदेश से आए भक्त पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं, और आत्मिक शुद्धता की कामना करते हैं।

·       महाकुंभ: महाकुंभ मेला हर 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद आयोजित किया जाता है और इसकी तिथि 144 साल बाद आती है। इस कारण महाकुंभ मेला विशेष धार्मिक महत्व रखता है, क्योंकि यहां स्नान करने से श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धता प्राप्त करने की कामना करते है  महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति से शुरू होगा और 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर समाप्त होगा।

कैसे तय होती है कुंभ की तारीख

कुंभ मेला कहां आयोजित होगा, इसका निर्धारण करने के लिए ज्योतिषी और अखाड़ों के प्रमुख एक साथ बैठक करते हैं। वे बृहस्पति (गुरु) और सूर्य की स्थिति का गहन अध्ययन करते हैं, क्योंकि इन दोनों ग्रहों का हिंदू ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है। इन ग्रहों की स्थिति और गणना के आधार पर कुंभ मेला की तिथि और स्थान तय किया जाता है।

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