Mumbai: खतरनाक कुत्तों की 23 नस्लों पर बैन, बॉम्बे हाई कोर्ट ने बैन मामले में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब

Mumbai: खतरनाक कुत्तों की 23 नस्लों पर बैन, बॉम्बे हाई कोर्ट ने बैन मामले में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब
Last Updated: 26 अप्रैल 2024

बॉम्बे कोर्ट ने गुरुवार को खतरनाक कुत्तों की 23 नस्लों पर बैन लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली एनिमल रेस्क्यू ट्रस्ट' (Animal Rescue Trust) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी कर 24 जून तक केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा।

Mumbai News: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार (25 अप्रैल) को 'खूंखार' कुत्तों की विभिन्न 23 नस्लों पर प्रतिबंध लगाने की मांग के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। बताया जा रहा है कि मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 12 मार्च को एक सर्कुलर जारी कर राज्यों से यह तय करने के लिए कहा कि इंसानों के जीवन के लिए खतरनाक कुत्तों की कुछ नस्लों की बिक्री, प्रजनन और रखने के लिए कोई अनुमति या इससे संबंधित लाइसेंस जारी ना की जाए।

24 जून तक मांगा जवाब

एजेंसी के मुताबिक मिली जानकारी के तहत पुणे स्थित गैर सरकारी संगठन 'एनिमल रेस्क्यू ट्रस्ट' (Animal Rescue Trust) द्वारा दायर एक जनहित याचिका में हाई कोर्ट से जारी आदेश को रद्द करने और इसके कार्यान्वयन (implementation) पर रोक लगाने की मांग रखी गई थी। इसमें बताया गया कि इस प्रकार के कदम से ऐसी नस्लों के खिलाफ क्रूरता बढ़ सकती है। चीफ जस्टिस और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने केंद्र और महाराष्ट्र की राज्य सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में 24 जून तक जवाब मांगा है।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाई रोक

याचिकाकर्ता ने बेंच से आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है। हालांकि, बताया गया कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले ही इस परिपत्र पर आंशिक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि उस परिपत्र के आधार पर महाराष्ट्र में किसी भी अथॉरिटी द्वारा कोई और कार्यकारी आदेश या निर्णय नहीं लिया गया है। इसलिए, पहले यह देखना चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस पर क्या कहती है?

जनहित याचिका में किया दावा

मिली जानकारी के अनुसार,जनहित याचिका में दावा किया गया कि सभी हितधारकों से बिना सुझाव लिए कुत्तो की विभिन्न 23 नस्लों पर बैन लगाया गया है।   यह आदेश इन नस्लों की क्रूरता के किसी भी वैज्ञानिक सबूत और जांच के बिना गैर-तथ्यात्मक है और इन दिनों में घटित कुत्तों के काटने की घटनाओं पर आधारित है।

याचिका में कहा गया है कि बैन लगाने का फैसला मनमाना है और दावा किया गया है कि इसमें साइंटिफिक स्टडी और किसी साक्ष्य का अभाव जरूर है। इस तरह के प्रतिबंध से ऐसी नस्लों के खिलाफ लोगों की क्रूरता बढ़ जाएगी।

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