ओडिशा में डिप्टी सीएम Pravati Parida का बड़ा एलान, महिलाओं की सुरक्षा के लिए पीरियड लीव की शुरआत, जानिए आखिर क्यों है महिलाओं को पीरियड लीव जरुरी?

ओडिशा में डिप्टी सीएम Pravati Parida का बड़ा एलान, महिलाओं की सुरक्षा के लिए पीरियड लीव की शुरआत, जानिए आखिर क्यों है महिलाओं को पीरियड लीव जरुरी?
Last Updated: 16 अगस्त 2024

ओडिशा सरकार ने पीरियड लीव पॉलिसी के तहत तुरंत प्रभाव से मासिक धर्म छुट्टी शुरू करने की घोषणा की है। भारत में समय-समय पर पीरियड लीव की मांग उठती रही है। इस विषय पर कई बार विवादास्पद टिप्पणियाँ भी सामने आई हैं। हाल ही में, स्मृति ईरानी ने एक ऐसा बयान दिया था जिसने पूरे देश में विवाद उत्पन्न कर दिया था।

Menstruation Leave in Odisha! ओडिशा सरकार ने सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए एक दिन की मासिक धर्म यानी पीरियड लीव की शुरुआत की है। यह घोषणा कटक में आयोजित जिला स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान ओडिशा की डिप्टी सीएम प्रवती परिदा द्वारा की गई। यह नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और इसके तहत महिला कर्मचारियों को उनके मासिक धर्म चक्र (Periods) के पहले या दूसरे दिन अवकाश (Leave) लेने की अनुमति प्रदान करती है।

महिलाएं शारीरिक दर्द में ले सकती है छुट्टी

इस पहल का लक्ष्य महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और कल्याण को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद करना है। डिप्टी सीएम प्रवती परिदा ने कहा, "यह एक वैकल्पिक सुविधा है, जिसके अंतर्गत महिलाएं, जो पेशेवर कार्य में व्यस्त हैं, अपने शारीरिक दर्द के पहले या दूसरे दिन छुट्टी ले सकती हैं। यह सरकारी और निजी क्षेत्र में काम (Work) करने वाली दोनों महिलाओं के लिए लागू होगा।"

भारत में पीरियड लीव पर कई बार की विवादित टिप्पणियाँ

भारत में समय-समय पर पीरियड (Periods) लीव की मांग उठती रही है, और इस पर कई बार विवादित टिप्पणियाँ भी की गई हैं। हाल ही में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के एक बयान ने पूरे देश में विवाद को जन्म दिया था। स्मृति ईरानी ने महिला कर्मचारियों के लिए अनिवार्य मासिक धर्म अवकाश के विचार पर अपने विरोध का इजहार किया है। पिछले साल राज्यसभा में आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा के पूछे गए सवाल के जवाब में, ईरानी ने कहा कि मासिक धर्म जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है और इसे विशेष अवकाश प्रावधानों की आवश्यकता वाली बाधा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

क्यों हैं महिलाओं को पीरियड लीव की आवश्यकता

1. महिला को पीरियड आए तो उसे दफ्तर से छुट्टी मिले और मासिक वेतन (Salary) में किसी प्रकार का बदलाव हो

2. ज्यादातर महिलाओं का पीरियड समय 28 दिनों का होता है, परन्तु किसी-किसी का 21 से 35 दिनों का भी हो सकता है।

3. मेडिकल साइंस (Medical Science) के अनुसार पीरियड आने के दौरान महिलाओं में 100 तरह के दलाव होते हैं। ये बदलाव शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक भी होते हैं।

4. महिलाओं में चिड़चिड़ापन हो जाता है, बात-बात पर रोने का मन, पेट और पीठ में दर्द, मन उदास, थकान और कमजोरी भी बनी रहती है।

5. पीरियड्स के समय 15 से 25% महिलाओं को भयंकर दर्द का सामना करना पड़ता है। 2017 में नीदरलैंड्स में 32,748 महिलाओं पर एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें 14% महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पीरियड्स के दौरान काम या स्कूल से छुट्टी ली थी। पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं के चलते कर्मचारी हर साल 8.9 दिन की उत्पादकता खो देते हैं।

6. कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ऐसी समस्याएं नहीं होती हैं जो उनके दैनिक कार्यों पर प्रभाव डालें। 20% से 32% महिलाओं को प्रीमैन्स्ट्रुअल सिंड्रोम के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका काम प्रभावित होता है। वहीं, 3% से 8% महिलाओं के लिए यह दर्द अत्यंत गंभीर हो सकता है।

भारत में पीरियड लीव की हुई शुरुआत

1. भारत में पीरियड लीव के लिए कोई नियम या नीति नहीं है। वर्ष 2020 में, जोमैटो ने पीरियड लीव का ऐलान किया था, जिसके तहत कंपनी हर साल 10 दिन की पेड लीव प्रदान करती है। जोमैटो के इस कदम के बाद, कई अन्य स्टार्टअप्स ने भी अपनी नीति में ऐसी छुट्टियों को शामिल करना शुरू कर दिया है।

2. बिहार, केरल और सिक्किम में पीरियड लीव से संबंधित नियम मौजूद हैं। पिछड़े माने जाने वाले बिहार ने अपने महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव का अधिकार देने में अग्रणी भूमिका निभाई। बिहार ने 1992 में एक कानून बनाया, जिसके अनुसार राज्य सरकार की महिला कर्मचारी हर महीने दो दिन की पीरियड लीव ले सकती हैं। यह छुट्टी 45 वर्ष की आयु तक उपलब्ध की गई है।

3. पिछले वर्ष जनवरी में, केरल के मुख्यमंत्री ने सरकारी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाली छात्राओं के लिए पीरियड लीव की घोषणा की थी। तथा महिला छात्राओं के लिए अटेंडेंस की अनिवार्य को 75% से घटाकर 73% कर दिया गया था।

4. सिक्किम में कार्यरत सभी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देने का निर्णय लिया है। उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में कार्यरत महिलाएँ हर महीने (Month) दो से तीन दिन की छुट्टी ले सकती है।

जानें किन-किन क्षेत्रों में पीरियड लीव लागू

1. 1912 में केरल के कोचिन वर्तमान में एर्नाकुलम के त्रिपुनीथुरा स्थित एक सरकारी स्कूल (Government School) में छात्राओं को पीरियड लीव लेने की अनुमति दी गई थी।

2. 1922 में सोवियत संघ ने भी पीरियड लीव प्रदान करने का निर्णय लिया था। महिलाएं हर महीने दो से तीन दिन की छुट्टी ले सकती थीं और उनके वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती थी। इस निर्णय को भेदभावपूर्ण ठहराते हुए 1927 में इसे रद्द कर दिया गया।

3. जापान में कंपनियां (Company) महिलाओं को पीरियड लीव देने से मना नहीं कर सकतीं। महिलाएं चाहें तो पीरियड लीव ले सकती हैं। परन्तु ज्यादातर महिलाएं छुट्टी नहीं लेतीं।

4. इंडोनेशिया और फिलीपींस में भी महिलाएं हर महीने दो दिन की छुट्टी ले सकती हैं। ताइवान में भी पीरियड लीव अनिवार्य (Compulsory) है। यहां महिलाएं साल में 3 दिन छुट्टी ले सकती हैं। छुट्टी के दौरान उन्हें सैलरी आधी मिलती है। साउथ कोरिया में महिलाओं को हर महीने एक दिन की छुट्टी मिलती है।

5. वियतनाम में पीरियड के दौरान महिलाओं को 30 मिनट का ब्रेक मिलता है। 2020 में इसमें संशोधन किया गया, जिसके बाद महिलाएं हर महीने 3 दिन की छुट्टी ले सकती हैं।

6. अफ्रीका में 2015 से पीरियड लीव अनिवार्य है। यहां महिलाएं हर महीने एक दिन की छुट्टी ले सकती है।

 

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