इस विधेयक को पारित कराने के लिए कम से कम दो तिहाई वोटों की आवश्यकता होगी, जबकि एनडीए के पास केवल सामान्य बहुमत है। रामनाथ कोविंद समिति को 47 पार्टियों से राय मिली थी, जिनमें से 32 ने समर्थन किया था और 15 ने इसका विरोध किया था। यह विधेयक एक चुनौतीपूर्ण टास्क साबित हो सकता है।
One Nation, One Election Bill: मोदी सरकार ने मंगलवार (17 दिसंबर 2024) को लोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक पेश किया, जिससे विपक्ष का भारी विरोध हुआ है। इस बिल को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा। रामनाथ कोविंद समिति ने 47 राजनीतिक दलों की राय को सुना, जिनमें से 32 ने समर्थन किया था और 15 ने इसका विरोध किया।
संसद में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मशीन से हुई वोटिंग
बीजेपी की अगुआई वाली सरकार ने इस विधेयक को पेश किया है, लेकिन इसे पारित कराना चुनौतीपूर्ण होगा। इसे पारित कराने के लिए कम से कम दो तिहाई वोटों की आवश्यकता होगी, जबकि एनडीए के पास वर्तमान में सामान्य बहुमत है। लोकसभा में इस समय बीजेपी के 240 और एनडीए को 293 सांसद हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के कई सांसद अनुपस्थित रहे, जिनमें से 20 बीजेपी सांसद वोटिंग के दौरान गैरहाजिर थे। कुछ सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जयपुर यात्रा में व्यस्त थे।
बिल पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए
केंद्र सरकार को इस विधेयक को पारित कराने के लिए कई और सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी। दो तिहाई बहुमत के लिए 362 का आंकड़ा जरूरी है। राज्यसभा में एनडीए के पास 112 सीटें हैं और उन्हें 6 मनोनीत सांसदों का भी समर्थन प्राप्त है। विपक्ष के पास 85 सीटें हैं। राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत के लिए 164 सांसदों की जरूरत होगी।
अनुच्छेद 370 को हटाने के समय क्या था आंकड़ा?
सत्तारूढ़ बीजेपी ने 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित किया था। उस समय लोकसभा में सरकार के पक्ष में 370 और विपक्ष में 70 वोट थे। 2019 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास लोकसभा में 343 सांसद थे, जबकि आज 293 हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने फिलहाल एक नैरेटिव सेट करने के लिए इस विधेयक को पेश किया है।
कांग्रेस ने बिल का किया कड़ा विरोध
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने विधेयक के पेश होने पर कहा कि यह तकनीकी रूप से ठीक से पेश नहीं किया गया है। कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने कहा कि विधेयक पारित करने के लिए बीजेपी को दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी, जो 300 से अधिक वोटों का होगा, जबकि उनके पास केवल 263 वोट हैं। बीजेपी के सहयोगियों जेडीयू, शिवसेना और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने एक देश एक चुनाव बिल का समर्थन किया है, जबकि वाईएसआरसीपी ने भी इसका समर्थन किया।