प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डोजियर में खुलासा हुआ है कि PFI के 13,000 से अधिक सदस्य सिंगापुर समेत पांच खाड़ी देशों में सक्रिय हैं। संगठन को अज्ञात स्रोतों से वित्तीय सहायता मिली है, और हवाला नेटवर्क के जरिए करोड़ों रुपये भेजे गए। ED ने इसे भारत में अस्थिरता फैलाने की साजिश से जोड़ा हैं।
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ चार साल तक की गई जांच में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। जांच के दौरान तैयार किए गए डोजियर से यह स्पष्ट हुआ है कि PFI के सदस्यों और कार्यालयों का जाल देशभर के कई राज्यों में फैला हुआ है, जिसमें केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू और कश्मीर और मणिपुर शामिल हैं।इस संगठन के सदस्यों की संख्या सैकड़ों में है, जो विभिन्न गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। ED के डोजियर के अनुसार, PFI को जुलाई 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के असफल प्रयास के बाद प्रतिबंधित किया गया था। यह प्रयास सरकार के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बना और इसके परिणामस्वरूप संगठन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंध लगाया गया।
PFI के 13,000 सदस्य ED की जांच में बड़ा खुलासा
ED की जांच से पता चला है कि PFI के 13,000 से अधिक सदस्य सिंगापुर और पांच खाड़ी देशों में सक्रिय थे। संगठन को हवाला के जरिए नियमित रूप से फंडिंग मिलती रही, साथ ही कई अज्ञात दानदाताओं ने भी वित्तीय मदद दी। इसके लिए PFI ने ट्रस्टों और संबद्ध संस्थाओं के 29 बैंक खातों में बड़ी मात्रा में नकदी जमा की। PFI की गतिविधियों के चलते पिछले कुछ वर्षों में 26 शीर्ष पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। संगठन पर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा, जिसके बाद उसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया। ED ने इन खुलासों से PFI के नेटवर्क और उसकी खतरनाक गतिविधियों को उजागर किया है, जो देश में अस्थिरता फैलाने के लिए काम कर रहा था।
PFI का अंधेरा चेहरा हिंसक घटनाओं में संलग्नता का पर्दाफाश
ED की जांच में PFI के एक आतंकी कैंप का पता चला, जहां केरल में युवाओं को विस्फोटक और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। संगठन पर आरोप है कि यह दिल्ली दंगों, हाथरस में अशांति, और जुलाई 2022 में प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की कोशिश में शामिल था। ED के डोजियर के अनुसार, PFI कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई में भी सक्रिय था, जिससे स्पष्ट होता है कि इसका एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है, जो भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा हैं।
भारत में जिहाद फैलाने की साजिश
जांच में पता चला है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के वास्तविक उद्देश्य इसके संविधान में वर्णित उद्देश्यों से भिन्न हैं। संगठन ने जिहाद के माध्यम से भारत में एक इस्लामी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया है। जबकि PFI अहिंसक विरोध के तरीकों का दावा करता है, जांच में मिले सबूत बताते हैं कि इसके विरोध के तरीके अक्सर हिंसक होते हैं, जिसमें जनता और सुरक्षा बलों पर हमले शामिल हैं। इससे स्पष्ट होता है कि PFI का असली लक्ष्य सामाजिक बदलाव नहीं, बल्कि एक विशिष्ट राजनीतिक एजेंडे को लागू करना हैं।
संगठन की गतिविधियाँ, जिसमें हिंसक प्रदर्शनों, आतंकी प्रशिक्षण कैंपों और वित्तीय साजिशें शामिल हैं, सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। इसके अलावा, हवाला और अज्ञात दानदाताओं के माध्यम से धन जुटाने की प्रवृत्ति संगठन की खतरनाक मंशा को दर्शाती हैं।