महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस के समारोह में एक दिलचस्प सियासी दृश्य देखने को मिला, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गर्मजोशी से मुलाकात की। इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
Bihar Politics: महाराष्ट्र में गुरुवार को बहुप्रतीक्षित महायुति सरकार का गठन हुआ। देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद संभाला। इस शपथ ग्रहण समारोह को एनडीए का शक्ति प्रदर्शन माना गया, जिसमें बीजेपी और एनडीए शासित प्रदेशों के कई मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शामिल हुए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
पीएम मोदी-नीतीश की गर्मजोशी ने बढ़ाई चर्चाएं
शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गर्मजोशी से मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई, जब बिहार में जदयू ने बीजेपी पर ‘राजधर्म’ की याद दिलाते हुए असम सरकार के बीफ बैन फैसले का विरोध किया।
जदयू का असम के बीफ बैन पर कड़ा विरोध
असम में हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर बीफ परोसने पर प्रतिबंध लगाया है। इस फैसले का जदयू ने खुलकर विरोध किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने इसे संविधान द्वारा दी गई खाने-पीने की आजादी के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा, “हम बीफ बैन का समर्थन नहीं करते। इससे समाज में पहले से मौजूद तनाव और बढ़ेगा।”
राजधर्म के खिलाफ है यह फैसला: जदयू प्रवक्ता
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने असम सरकार के फैसले को ‘राजधर्म’ के खिलाफ बताते हुए कहा, “सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि लोग क्या खाएं और क्या पहनें। यह फैसला पूरी तरह से अनुचित है और समाज में तनाव बढ़ाने वाला है।”
जदयू का बीजेपी के अन्य फैसलों पर भी विरोध
यह पहली बार नहीं है जब जदयू ने बीजेपी के फैसलों पर सवाल उठाए हों। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर तटस्थ रुख अपनाने के अलावा, किसान आंदोलन और कांवड़ यात्रा से जुड़े मामलों में जदयू ने बीजेपी से अलग राय रखी है। हाल ही में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के किसानों से जुड़े सवाल का जदयू ने समर्थन किया था, जिसमें कृषि मंत्री से किसानों के वादे पूरे करने की मांग की गई थी।
बिहार में 2025 चुनाव से पहले ‘खेला’ तय
नीतीश कुमार भले ही खुले मंच से एनडीए के साथ रहने का दावा कर चुके हों, लेकिन बिहार की राजनीति में उनके पलटवार के इतिहास को देखते हुए कोई भी संभावना खारिज नहीं की जा सकती। एनडीए सरकार में रहते हुए जदयू द्वारा बीजेपी शासित राज्यों के फैसलों का बार-बार विरोध गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है।