पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) को आज नया प्रधान मिल गया है। कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस घोषणा की जानकारी मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक्स (Twitter) प्लेटफॉर्म पर दी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कुछ समय पहले पंजाब में चल रहे चार उपचुनावों के प्रचार के दौरान यह संकेत दिया था कि वह प्रधान पद छोड़ने की इच्छा रखते हैं, और अब उनकी जगह अमन अरोड़ा को पार्टी की कमान दी गई हैं।
चंडीगढ़: पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) को आज नया पार्टी अध्यक्ष मिल गया है। कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह जानकारी एक्स (Twitter) प्लेटफॉर्म पर दी, जहां उन्होंने पोस्ट करते हुए बताया कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी अपने करीबी सहयोगियों, अमन अरोड़ा और विधायक अमनशेर सिंह शैरी कलसी को सौंप दी हैं।
AAP ने अमन को पार्टी अध्यक्ष और शैरी कलसी को वर्किंग प्रेसीडेंट की भूमिका सौंपी
पार्टी ने फैसला किया है कि अमन अरोड़ा पार्टी अध्यक्ष के तौर पर कार्य करेंगे, जबकि शैरी कलसी को वर्किंग प्रेसीडेंट की भूमिका सौंपी गई है। सीएम भगवंत मान ने अपने दोनों साथियों पर पूरा विश्वास जताया और कहा कि वे पार्टी और संगठन को पंजाब में और मजबूत करेंगे और नई ऊंचाइयों तक लेकर जाएंगे।इससे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ही आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। हाल ही में पंजाब में चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव के दौरान प्रचार करते हुए उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद यह अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं कि पार्टी किसी नए नेता को यह जिम्मेदारी सौंप सकती हैं।
आम आदमी पार्टी हिन्दू चेहरे पर खेल सकती है दांव
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) को हिन्दू वोट बैंक को लेकर चुनौती का सामना करना पड़ा है, खासकर 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद। उस समय पार्टी को 42.06 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इस वोट प्रतिशत में भारी गिरावट आई, जो कि घटकर 26.06 प्रतिशत हो गया। इस दौरान चर्चा इस बात की थी कि पार्टी हिंदू वोट बैंक को फिर से अपनी ओर आकर्षित करने के लिए किसी हिंदू चेहरे को पार्टी अध्यक्ष बना सकती है।
भाजपा ने भी 2022 में 26.06 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त किया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका वोट शेयर घटकर 18 प्रतिशत हो गया, हालांकि पार्टी को कोई सीट नहीं मिली। बावजूद इसके, भाजपा ने शहरी इलाकों में अपना प्रभाव बनाए रखा है। इसके अलावा, हाल ही में हुए उपचुनावों में भाजपा ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारने की कोशिश की है, जिससे आम आदमी पार्टी को इस वोट बैंक के खिसकने से शहरी सीटों पर नुकसान हुआ हैं।
आम आदमी पार्टी को यह एहसास है कि इसके चलते कुछ महत्वपूर्ण शहरी सीटें, जैसे लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, और पटियाला, कांग्रेस के पास चली गई हैं, जिनकी विधानसभा सीटें आम आदमी पार्टी के पास थीं।