केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार को लोकसभा में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश करेंगे। यह बिल हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी प्राप्त कर चुका है, और अब इसका संसद में प्रसार होने वाला है। इस बिल के तहत लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को एक साथ आयोजित करने का प्रस्ताव है।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद क्या बदलाव होंगे
हाल ही में, केंद्रीय कैबिनेट ने दो अहम विधेयकों को मंजूरी दी थी। इनमें से एक संविधान संशोधन विधेयक है, जो एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के आयोजन का प्रावधान करता है। दूसरा विधेयक केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करने का है।
अगर यह विधेयक संसद में पास होता है, तो लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक ही वर्ष में आयोजित किए जाएंगे। यह प्रस्ताव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उच्च स्तरीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में भी आया था। समिति का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी प्रक्रिया में सुधार हो सकता है।
भा.ज.पा. का लंबे समय से था यह एजेंडा
भा.ज.पा. ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही एक साथ चुनाव कराने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। 2017 में नीति आयोग ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। इसके बाद, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी संसद के संयुक्त सत्र में इस मुद्दे को उठाया था। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता को दोहराया था।
भा.ज.पा. के घोषणापत्र में यह मुद्दा लगातार शामिल रहा है, और पार्टी ने इस प्रस्ताव को कार्यान्वित करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श करने का भी संकेत दिया है। एक साथ चुनाव कराना, पार्टी का मानना है कि इससे चुनाव खर्च में कमी आएगी और राज्य सरकारों को अधिक स्थिरता मिलेगी।
विपक्षी दलों का विरोध
हालांकि, विपक्षी दलों ने एक साथ चुनाव कराने का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह व्यवस्था चुनावी प्रक्रिया को असंतुलित कर सकती है और छोटे दलों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। उनका यह भी कहना है कि ऐसे निर्णय से राज्यों को अनावश्यक रूप से मजबूर किया जा सकता है।
चुनाव खर्च में कमी और स्थिरता की संभावना
इस प्रस्ताव को लेकर भाजपा का मानना है कि एक साथ चुनाव होने से राजनीतिक दलों और सरकार दोनों के लिए चुनाव खर्च कम होगा, जो वर्तमान में कई बार बढ़ जाता है। इसके साथ ही, यह राज्य सरकारों के लिए कुछ हद तक स्थिरता सुनिश्चित करेगा, क्योंकि बार-बार चुनावों के कारण प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो सकता है।
'वन नेशन, वन इलेक्शन' योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाना और लंबे समय तक एक ही चुनावी मंडल के अंतर्गत चुनाव कराना है, जिससे विकास योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके। इस विधेयक को पेश करने के बाद, अब देखना यह होगा कि यह विधेयक संसद में कैसे पारित होता है और इसके लिए राजनीतिक दलों का समर्थन कितनी मात्रा में मिलता है।