राज्यसभा में किसानों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसदों ने जोरदार हंगामा किया। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को बताया कि सदस्यों द्वारा पहले दिए गए नियम 267 के नोटिसों में से कोई भी सीधे तौर पर किसानों के मुद्दों से संबंधित नहीं था।
नई दिल्ली: राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान किसानों के मुद्दों पर हंगामा और नारेबाजी करते हुए विपक्षी सांसदों पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने विपक्षी दलों पर किसानों के मुद्दे का "राजनीतिकरण और ड्रामा" करने का आरोप लगाया। सभापति धनखड़ ने अपनी बात को सख्त अंदाज में रखते हुए कहा, "मगरमच्छ के आंसू बहाने से किसानों का भला नहीं होगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि यदि विपक्ष वास्तव में किसानों के हित में काम करना चाहता है, तो उन्हें गंभीरता और तर्क के साथ मुद्दों को सदन में लाना चाहिए, न कि हंगामा करके सदन की कार्यवाही बाधित करनी चाहिए।
धनखड़ ने सांसदों को लगाई फटकार
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि "नारेबाजी और घड़ियाली आंसू बहाने से किसानों का भला नहीं होगा।" उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे सिर्फ किसानों के मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं और समाधान के प्रति गंभीर नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा, "किसान आपकी आखिरी प्राथमिकता हैं।"
धनखड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले सप्ताह सदन में हुए हंगामे के कारण कोई कामकाज नहीं हो सका, और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उस दौरान विपक्ष की ओर से किसानों के मुद्दे पर कोई नोटिस नहीं दिया गया था। उन्होंने विपक्ष की इस स्थिति पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि उनके पास मुद्दों को लेकर गंभीरता का अभाव हैं।
जब विपक्षी सदस्यों ने अपनी नारेबाजी जारी रखी, तो सभापति ने कहा, "भविष्य में मैं यह ध्यान रखूंगा कि आपका आश्वासन सिर्फ एक रणनीति थी। मैंने आपको मर्यादा और अनुशासन के पालन के भरोसे पर चर्चा की अनुमति दी थी, लेकिन आप उस पर खरे नहीं उतरे।" सभापति की इस सख्त टिप्पणी ने सदन में जारी तनाव को और बढ़ा दिया। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
सांसदों ने हंगामे के बाद किया राज्यसभा से वॉक आउट
राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर गहराते विवाद के बीच कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ाने के वादे को पूरा न करने के विरोध में सदन से वॉकआउट किया। इससे पहले विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी की और सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार ने एमएसपी बढ़ाने का वादा अब तक पूरा नहीं किया है, जिससे किसानों को दोबारा आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ रहा हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों से किए अन्य वादों, जैसे कर्ज माफी और कृषि सुधारों को भी अनदेखा किया है। प्रमोद तिवारी ने सभापति जगदीप धनखड़ का नाम लिए बिना कहा कि उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने भी किसानों के मुद्दे पर आवाज नहीं उठाई। विपक्ष ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि धनखड़ ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत दिन के तय कामकाज को निलंबित करने की मांग करने वाले नोटिस को खारिज कर दिया।