बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक संपन्न हो गई। इस बैठक में औरंगजेब विवाद, तीन-भाषा फॉर्मूला, लोकसभा सीटों के परिसीमन और बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।
RSS Annual Meeting: बेंगलुरु में आज, रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक संपन्न हो गई। इस दौरान संघ के नेताओं ने मीडिया से बातचीत की, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े सीधे सवालों पर संयम बनाए रखा। हालांकि, परिसीमन के मुद्दे पर दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटों में किसी तरह की कटौती न करने का संकेत देते हुए संघ ने स्पष्ट किया कि "दक्षिणी राज्यों का लोकसभा में अनुपात वही रहेगा।"
इसके अलावा, संघ ने तीन-भाषा फार्मूले पर संतुलित रुख अपनाया। बैठक में बांग्लादेश में औरंगजेब विवाद और वहां हिंदुओं की स्थिति को लेकर भी गहन चर्चा हुई।
1. औरंगजेब पर सख्त रुख, दारा शिकोह की प्रशंसा
महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर उठे विवाद पर संघ ने स्पष्ट रुख अपनाया। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत के मूल्यों के खिलाफ जाने वाले व्यक्तियों को महिमामंडित करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने इस संदर्भ में दारा शिकोह का उदाहरण देते हुए कहा कि दारा शिकोह भारतीय संस्कृति और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक थे, लेकिन उनकी ऐतिहासिक विरासत को उतनी मान्यता नहीं मिली।
2. परिसीमन पर संतुलित दृष्टिकोण
संघ ने लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर दक्षिणी राज्यों की चिंताओं को समझते हुए कहा कि उनके लोकसभा में प्रतिनिधित्व का अनुपात बरकरार रहेगा। संघ के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने कहा कि परिसीमन पर किसी भी चर्चा का आधार ठोस कानूनी और सांविधानिक प्रक्रिया होनी चाहिए, न कि राजनीतिक एजेंडा।
3. तीन भाषा फॉर्मूला पर लचीला रुख
त्रिभाषा फॉर्मूला को लेकर देशभर में चल रही बहस के बीच आरएसएस ने मातृभाषा को शिक्षा का प्राथमिक माध्यम बनाने की वकालत की। संघ ने कहा कि मातृभाषा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली भाषा सीखना भी आवश्यक है। तमिलनाडु और अन्य राज्यों में इस मुद्दे पर हो रही बहस को लेकर संघ ने कोई औपचारिक प्रस्ताव पारित नहीं किया, लेकिन स्पष्ट किया कि भाषा का चुनाव व्यक्ति और समाज की आवश्यकताओं पर निर्भर होना चाहिए।
4. बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार, संघ ने जताई गहरी चिंता
संघ ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हुए ‘बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता’ शीर्षक से एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में धार्मिक असहिष्णुता, जबरन धर्मांतरण और संपत्तियों को नष्ट करने जैसी घटनाओं को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया गया। संघ ने भारत सरकार और वैश्विक समुदाय से इस मुद्दे पर निर्णायक कार्रवाई की अपील की।
5. बीजेपी अध्यक्ष पद पर आरएसएस का रुख
बीजेपी अध्यक्ष के चयन को लेकर चल रही अटकलों पर संघ ने स्पष्ट कर दिया कि यह निर्णय पूरी तरह से बीजेपी का आंतरिक मामला है। संघ के अनुसार, बीजेपी की अपनी निर्णय प्रक्रिया है और इसमें संघ का कोई हस्तक्षेप नहीं है। इस बयान से यह साफ हो गया कि बीजेपी और आरएसएस के बीच अध्यक्ष पद को लेकर किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं हैं।
संघ की बैठक से निकले प्रमुख संकेत
आरएसएस की यह बैठक न केवल संगठन के अगले वर्ष के कार्यक्रमों की दिशा तय करने वाली रही, बल्कि इससे केंद्र सरकार को भी महत्वपूर्ण नीतिगत संदेश मिले। परिसीमन, भाषा नीति और हिंदू समुदाय की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर संघ ने स्पष्ट रुख अपनाया है, जो भविष्य की राजनीतिक रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है। बेंगलुरु बैठक के नतीजे दर्शाते हैं कि संघ अपनी विचारधारा को मजबूती से आगे बढ़ाते हुए सामाजिक और राजनीतिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा हैं।