Sambhal Violence: संभल हिंसा पर मौलाना अरशद मदनी का बयान, कहा- 'बाबरी, ज्ञानवापी, और अब जामा मस्जिद, क्या जारी रहेगा यह सिलसिला?'

Sambhal Violence: संभल हिंसा पर मौलाना अरशद मदनी का बयान, कहा- 'बाबरी, ज्ञानवापी, और अब जामा मस्जिद, क्या जारी रहेगा यह सिलसिला?'
Last Updated: 5 घंटा पहले

मौलाना मदनी ने कहा, "1947 के बाद मस्जिदों की स्थिति जैसी थी, वैसी ही रहेगी। बावजूद इसके, देश में फिरकापरस्ती बढ़ रही है, जिससे मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने की साजिशें तेज हो गई हैं।"

Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गहरी चिंता व्यक्त की है। मदनी ने इसे मुसलमानों के खिलाफ एक साजिश का हिस्सा बताते हुए कहा कि देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाएं चिंताजनक हैं। संभल में हुई हिंसा में भारी पथराव, आगजनी और कई घरों को नुकसान पहुंचा था। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

'बाबरी मस्जिद से लेकर जामा मस्जिद तक'- मौलाना

मौलाना मदनी ने इस घटना को बाबरी मस्जिद, ज्ञानवापी और अब जामा मस्जिद जैसे विवादों से जोड़ते हुए कहा कि 1947 के बाद मस्जिदों की स्थिति जस की तस रहेगी, लेकिन फिर भी फिरकापरस्ती और सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिशें हो रही हैं, जो देश की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरे की घंटी हैं।

वक्फ़ कानून में बदलाव पर असंतोष

वक्फ़ कानून में प्रस्तावित बदलावों पर भी मदनी ने गहरी असहमति जताई। उन्होंने कहा कि नए वक्फ़ बिल से मुसलमानों के हक पर हमला हो रहा है, और इस पर सरकार ने किसी भी मुस्लिम संगठन से चर्चा नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार दारुल उलूम जैसे संस्थानों के प्रतिनिधियों से बात करती, तो एक बेहतर समाधान निकल सकता था।

नीतीश कुमार पर साधा निशाना 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर इशारा करते हुए मदनी ने कहा कि मुसलमानों का समर्थन उनके लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, "अगर नीतीश कुमार हमारे हक की रक्षा करते हैं, तो हम उनका समर्थन करेंगे, लेकिन अगर वे हमारे खिलाफ कदम उठाते हैं, तो हमें अन्य विकल्पों की ओर देखना होगा।"

मौलाना मदनी ने दिया बयान 

मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद एक धार्मिक संगठन है, न कि सियासी पार्टी। उन्होंने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और भेदभाव की राजनीति को देश के भविष्य के लिए खतरा बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर भी आरोप लगाया कि वह वक्फ़ को एक धार्मिक अधिकार मानने से कतराते हैं, जो मुसलमानों के हक में बड़ा कदम नहीं है।

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