संभल हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय टीम जल्द ही संभल पहुंचेगी। यह टीम हिंसा के कारणों की गहराई से जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट तैयार कर दो महीने के भीतर सरकार को सौंपेगी।
Sambhal Violence Update: समाजवादी पार्टी (सपा) का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज, 30 नवंबर को संभल का दौरा करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय करेंगे। इसके साथ ही, सपा के अन्य प्रमुख नेता, जिनमें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल, सांसद हरेंद्र मलिक, रुचि वीरा, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क और नीरज मौर्य शामिल हैं, भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य हिंसा के प्रभावितों से मुलाकात करेंगे और अपनी रिपोर्ट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपेंगे। यह दौरा संभल में हालिया हिंसा की घटनाओं की विस्तृत जांच के उद्देश्य से किया जा रहा है।
पुलिस ने संभल जाने पर लगाई रोक
हालांकि, संभल में नेताओं के दौरे को लेकर विवाद भी उत्पन्न हुआ है। मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि संभल में फिलहाल कोई भी नेता या बाहरी व्यक्ति नहीं जा सकता क्योंकि वहां पहले ही शांति स्थापित की जा चुकी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई भी व्यक्ति वहां आता है, तो वह स्थिति को और बिगाड़ सकता है और दंगे का कारण बन सकता है। इसी कारण, लखनऊ में माता प्रसाद पांडेय के घर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस की यह तैयारी इस बात को लेकर है कि किसी भी नेता का दौरा कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित न करे।
सपा प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन हैं शामिल?
सपा के इस प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के कई बड़े नेता शामिल हैं। प्रमुख नेताओं में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल, और सपा के सांसद हरेंद्र मलिक, रुचि वीरा, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क शामिल हैं। इसके साथ ही विधायक कमाल अख्तर, रविदास मेहरोत्रा, नवाब इकबाल महमूद और पिंकी सिंह यादव जैसे सपा के प्रमुख सदस्य भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। इस दल का उद्देश्य हिंसा के कारणों की जाँच करना और पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझना है। सपा का यह प्रयास है कि वह अपनी रिपोर्ट अखिलेश यादव को सौंपे और पार्टी की तरफ से इस हिंसा की घटनाओं के बारे में उचित कदम उठाए।
हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक टीम का गठन
संभल हिंसा की गहराई से जांच के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक टीम का गठन किया है। यह टीम हिंसा के कारणों का पता लगाएगी और सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस टीम का गठन राज्य सरकार ने इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए किया है। तीन सदस्यीय टीम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज डीके अरोड़ा, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद, और रिटायर्ड आईपीएस अरविंद कुमार जैन को शामिल किया गया है। इस टीम को हिंसा के कारणों का गहराई से विश्लेषण करने और दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर उठाए सवाल
संभल हिंसा के बाद पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। एक ओर जहां हिंसा की घटनाओं को लेकर आरोप हैं कि भीड़ ने हिंसक प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी ओर पुलिस-प्रशासन की नाकामी पर भी तीखे सवाल उठाए जा रहे हैं। कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इस बात को उठाया है कि पुलिस ने समय रहते हिंसा को काबू करने के लिए पर्याप्त कदम क्यों नहीं उठाए। अब न्यायिक जांच से इन सवालों का जवाब पाने की उम्मीद है। न्यायिक जांच यह पता लगाएगी कि पुलिस ने सही समय पर कार्रवाई की या नहीं और प्रशासन ने किस तरह से हालात को संभाला।
SC ने संभल मस्जिद मामले पर किया टिप्पणी से इंकार
संभल हिंसा के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने जामा मस्जिद मामले पर टिप्पणी करने से इंकार किया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसने इस मामले को ध्यानपूर्वक देखा है, लेकिन इस पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करेगा। कोर्ट ने मस्जिद कमिटी को अपने कानूनी विकल्पों का पूरा उपयोग करने का अवसर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मस्जिद कमिटी सिविल जज के आदेश के खिलाफ अपील करती है, तो इसे तीन दिन के अंदर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लंबित रखा है और इसे आगामी 6 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।