हरियाणा सरकार द्वारा राज्य गीत घोषित किए जाने से पहले ही यह विवादों में घिर गया है। सोनीपत और फतेहाबाद के दो लेखकों ने दावा किया है कि इस गीत के बोल उनके मूल लेखन से प्रेरित हैं, लेकिन उन्हें कोई क्रेडिट नहीं दिया गया।
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार द्वारा राज्य गीत घोषित किए जाने से पहले ही यह विवादों में घिर गया है। सोनीपत और फतेहाबाद के दो लेखकों ने दावा किया है कि इस गीत के बोल उनके मूल लेखन से प्रेरित हैं, लेकिन उन्हें कोई क्रेडिट नहीं दिया गया। विधानसभा की कमेटी ने पहले ही गीत को फाइनल कर लिया था, लेकिन अब यह मामला विधानसभा सत्र में गरमा सकता हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
हरियाणा के प्रस्तावित राज्य गीत "जय जय जय हरियाणा" को पानीपत के डॉ. बालकिशन शर्मा ने लिखा है। यह गीत कुरुक्षेत्र की ऐतिहासिक धरती, किसानों, खिलाड़ियों, सैनिकों और प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। इसे गायक डॉ. श्याम शर्मा ने अपनी आवाज दी है, जबकि संगीतकार पारस चोपड़ा ने इसे कंपोज किया हैं।
पहले इस गीत को बॉलीवुड सिंगर कैलाश खेर गाने वाले थे, लेकिन हरियाणवी टच न होने के कारण डॉ. शर्मा को इसकी जिम्मेदारी दी गई। हालांकि, गीत को विधानसभा में पेश किए जाने से पहले ही दो लेखकों ने इसके बोलों पर अपने अधिकार का दावा कर दिया हैं।
लेखकों के दावे क्या हैं?
सोनीपत की लेखिका और अभिनेत्री गीतू परी ने आरोप लगाया कि राज्य गीत में उनके द्वारा 29 जनवरी 2024 को लिखे गए गीत से कई पंक्तियाँ ली गई हैं। उन्होंने कहा, "मेरे लिखे गीत में 'जय जय हरियाणा' दो बार था, जबकि राज्य गीत में इसे तीन बार किया गया है। इसके अलावा, कई लिरिक्स हूबहू मिलते हैं। अगर मेरे गीत से पंक्तियाँ ली गई हैं, तो मुझे भी क्रेडिट मिलना चाहिए।"
फतेहाबाद के कृष्ण कुमार ने भी इस गीत पर दावा ठोकते हुए कहा कि उन्होंने 2021 में हरियाणा सरकार की वेबसाइट पर गीत भेजा था। उन्होंने बताया,
"26 जनवरी 2024 को राजपथ पर हरियाणा की झांकी में मेरे गीत की धुन बजाई गई थी। अब जब राज्य गीत घोषित किया गया है, तो पाया कि इसके 80% बोल मेरे गीत से मिलते हैं, लेकिन मुझे इसका कोई श्रेय नहीं दिया गया।"
विधानसभा कमेटी की दुविधा
हरियाणा विधानसभा द्वारा राज्य गीत चयनित करने के लिए गठित कमेटी की अध्यक्षता भाजपा विधायक लक्ष्मण यादव कर रहे थे। इस कमेटी को कुल 204 प्रविष्टियाँ मिली थीं, जिनमें से तीन फाइनल हुईं। अंत में "जय जय जय हरियाणा" को राज्य गीत घोषित किया गया। अब जब दो लेखकों ने अपने दावे पेश किए हैं, तो यह मामला विधानसभा में तूल पकड़ सकता है। सरकार इस विवाद से बचने के लिए कोई समाधान निकाल सकती है, ताकि राज्य गीत की लॉन्चिंग बिना किसी अड़चन के हो सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार इस विवाद को हल करने के लिए गीत के अधिकारों की दोबारा समीक्षा कर सकती है। यदि लेखकों के दावे सही पाए जाते हैं, तो उन्हें क्रेडिट देने या मुआवजा देने का विकल्प अपनाया जा सकता हैं।