तमिलनाडु के विल्लुपुरम मंदिर में विभिन्न तरीके के अनुष्ठानों के बाद मंदिर के पुजारी कील से जड़ित मंच पर खड़े होकर पूजा किए गए नींबू की नीलामी करते हैं। नौ दिन चलने वाले इस उत्सव के दौरान व्यक्तिगत रूप से पूजा अर्पित नींबुओं की नीलामी की जाती हैं।
चेन्नई: तमिलनाडु के विल्लुपुरम मंदिर में 'पंगुनी उथिरम उत्सव' लगातार कई सालों से मनाया जा रहा है। इस उत्सव के अंतिम दिन मंदिर में पूजा के लिए रखे गए नींबू की निलामी की जाती है। इस बार की नीलामी में मंदिर के 9 नींबू 2 लाख 30 हजार रूपये में नीलाम हुए हैं। ये निंबू देवता के पवित्र भाले पर चढ़ाए हुए थे। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इन नींबूओं से नींबू पानी बनाकर उसका सेवन करने से बांझपन की समस्या दूर हो जाती है और परिवारों में किलकारियां व समृद्धि आती हैं।
मंदिर परिसर में लगती है नींबू की बोली
मंदिर के एक पुजारी ने Subkuz.com को बताया कि 'पंगुनी उथिरम उत्सव' के दौरान विल्लुपुरम क्षेत्र के तिरुवनैनल्लूर गांव में दो पहाड़ियों के मिलान संगम पर बने एक छोटे से मंदिर में सैकड़ों तादात में निःसंतान जोड़े भगवान मुरुगा के दर्शन करके पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान मंदिर प्रबंधन समिति के द्वारा भगवान को अर्पित नीबुओं की नीलामी में सब बोली लगाते हैं।
बताया कि जिन पति-पत्नी (दंपति) की कोई संतान नहीं होती वो इन्हें बोली में खरीदते हैं। क्योंकि लोगों की आस्था है कि इन नींबू का नींबू पानी बनाकर पीने से बांझपन की समस्या से निजात मिलती है। व्यापारी और व्यवसायी लोग अपने व्यापारिक उद्यमों में समृद्धि और वृद्धि के लिए भी इन नींबूओं को बोली में खरीदते हैं। ग्रामीणों ने जनकारी देते हुए बताया कि 9 दिन चलने वाले इस उत्सव के दौरान मंदिर के पुजारी हर दिन एक नींबू काटते हैं और भगवान को अर्पित करते है. उत्सव के आखिरी दिन मंदिर प्रबंधन द्वारा सभी 9 नींबू की नीलामी की जाती हैं।
भगवान मुरुगा पर गांव के लोगों की है आस्था
पुजारी ने बताया कि उत्सव के दौरान भगवान मुरुगा के भाले पर प्रत्येक दिन अलग-अलग नींबू चढ़ाया जाता है. कहां जाता है कि इन नींबुओं को रहस्यमय गुणों के लिए पूजा जाता है। ये नींबू खास तरीके की शक्ति रखते हैं. हर साल आयोजित होने वाले 'पंगुनी उथिरम त्योहार' के दौरान कई निःसंतान जोड़े इन विशेष आस्था वाले नींबुओं की बोली लगाने के लिए मंदिर में पधारते हैं।
बताया की निःसंतान दंपति इन नींबुओं को अपने परिवार को आगे बढ़ाने की उम्मीद के साथ खरीदते हैं और व्यापारी लोग अपने व्यापार को विकसित व समृद्धि के लिए खरीदते हैं। नौ दिन चलने वाले इस त्योहार के प्रत्येक दिन पुजारी एक नींबू को भाले से काटते हैं और भगवान मुरुगा को अर्पित करते हैं, जिसमें पहले दिन चढ़ने वाले नींबू को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है। बताया कि कुलथुर गांव के रहने वाले एक जोड़े ने 50,551 रुपये में पहले दी चढ़ने वाले बेशकीमती नींबू को खरीदा है। तथा सभी 9 नींबू 2,35,151 रुपये में नीलाम हुए हैं।