पद्म विभूषण रतन टाटा, का बुधवार की रात निधन हो गया। 86 वर्ष की आयु में, उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष, रतन टाटा ने भारत के व्यापार में एक अमिट छाप छोड़ी है। टाटा समूह के विशाल साम्राज्य, जिसकी संपत्ति लगभग 3800 करोड़ आंकी गई है, के उत्तराधिकारी कौन होंगे? यह सवाल अब सबसे बड़ा है।
Ratan Tata: दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद प्रमुख रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में 9 अक्टूबर 2024 को निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। रतन टाटा, जो टाटा समूह को एक वैश्विक कंपनी बनाने के लिए जाने जाते हैं, ने 1991 से 2012 तक कंपनी का नेतृत्व किया। रतन टाटा के निधन के बाद यह सवाल उठ रहा है कि उनके उत्तराधिकारी कौन होंगे। हालांकि, रतन टाटा ने 2012 में ही टाटा समूह के नेतृत्व से सेवानिवृत्ति ली थी और उसके बाद नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया था।
टाटा समूह की कमान किसके हाथों में?
रतन टाटा के समूह से जाने के बाद, टाटा समूह की जिम्मेदारी को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई, इस दौड़ में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। लेकिन नोएल टाटा अकेले नहीं हैं। टाटा की नई पीढ़ी, जिसमें लिआ, माया और नेविल - नोएल नवल टाटा के बच्चे - शामिल हैं, भी इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए तैयार हैं।
ये युवा टाटा समूह में अपनी जगह बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, और विभिन्न पेशेवर पदों पर काम करते हुए, अपने अनुभव और क्षमता को बढ़ा रहे हैं। अब यह देखना होगा कि टाटा समूह का नेतृत्व किसके हाथों में आता है, और यह नई पीढ़ी टाटा की विरासत को कैसे आगे बढ़ाती है।
टाटा समूह में लिआ की सफलता की कहानी
टाटा समूह की बड़ी हस्ती लिआ ने स्पेन के मैड्रिड स्थित आईई बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है। 2006 में, उन्होंने टाटा समूह में ताज होटल रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेस में सहायक बिक्री प्रबंधक के रूप में अपना करियर शुरू किया। तब से, विभिन्न भूमिकाओं में प्रगति करते हुए, आज वह द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं। लिआ की शिक्षा और कड़ी मेहनत ने उन्हें टाटा समूह में उच्च पद तक पहुँचने में मदद की है। उनकी सफलता की कहानी हमें अपने लक्ष्यों के लिए लगातार प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है।
टाटा परिवार में उत्तराधिकारी की दौड़
माया और नेविल टाटा समूह के उत्तराधिकारी की दौड़ में, छोटी बेटी माया टाटा और बेटा नेविल दोनों ही अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। माया ने समूह की प्रमुख वित्तीय सेवा कंपनी टाटा कैपिटल में एक विश्लेषक के रूप में अपना करियर शुरू किया है। वहीं, नेविल ने ट्रेंट में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की, एक खुदरा श्रृंखला जिसके निर्माण में उनके पिता ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
नेविल ने मानसी किर्लोस्कर से शादी की है, जो टोयोटा किर्लोस्कर समूह की उत्तराधिकारी हैं। इस प्रकार, दोनों ही भाई-बहन टाटा समूह की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। माया और नेविल का अनुभव और कौशल उन्हें इस चुनौतीपूर्ण भूमिका को सफलतापूर्वक निभाने में मदद कर सकता है। टाटा समूह की भविष्य की दिशा इन दोनों ही उत्तराधिकारियों पर निर्भर करेगी।
रतन टाटा ने खुद संभाली कमान
कंपनी में खुद 1991 में संभाली कमान 1991 में, जब उनके चाचा जेआरडी टाटा ने अपना पद छोड़ा, तब रतन टाटा ने समूह का नेतृत्व संभाला। यह समय भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण था, क्योंकि देश ने अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर खोलने और तेज विकास के युग की शुरुआत के लिए क्रांतिकारी सुधारों की प्रक्रिया शुरू की थी।
अपने प्रारंभिक कदमों में से एक के तहत, रतन टाटा ने समूह की विभिन्न कंपनियों के प्रमुखों की शक्तियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया। उन्होंने सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित की, युवाओं को वरिष्ठ पदों पर पदोन्नत किया और कंपनियों पर अपनी पकड़ मजबूत की।