उत्तराखंड में आगामी पंचायत चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्मचारियों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लागू करने का निर्णय लिया हैं।
देहरादून: उत्तराखंड में आगामी पंचायत चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्मचारियों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे राज्य के 1,00,937 कर्मचारी लाभान्वित होंगे। इस फैसले को राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, क्योंकि विपक्ष लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू करने की मांग कर रहा था।
यूपीएस लागू होने से सरकार पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के लागू होने से राजकोष पर 492 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह योजना स्वैच्छिक होगी और कर्मचारियों को इसमें शामिल होने का विकल्प मिलेगा। सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से कर्मचारियों को यूपीएस में शामिल होने का विकल्प देने का निर्णय लिया हैं।
यूपीएस बनाम एनपीएस: जानिए क्या है फर्क?
* कर्मचारी अंशदान: यूपीएस में कर्मचारियों के वेतन से 10% कटौती होगी, जो कि एनपीएस के समान है।
* सरकारी योगदान: एनपीएस में सरकार का योगदान 14% था, जबकि यूपीएस में इसे 18.5% कर दिया गया है।
* न्यूनतम पेंशन: यूपीएस में 10 साल की सेवा के बाद कर्मचारियों को 10,000 रुपये मासिक पेंशन मिलेगी, जबकि एनपीएस में यह राशि 9,000 रुपये थी।
* लंबी सेवा का लाभ: 25 साल की सेवा पूरी करने पर कर्मचारी को यूपीएस में कुल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। इसके अलावा, समय-समय पर महंगाई भत्ते का लाभ भी दिया जाएगा।
* पारिवारिक पेंशन: यूपीएस के तहत कर्मचारी के निधन की स्थिति में परिवार को पेंशन का 60% हिस्सा मिलेगा।
उत्तराखंड में कितने कर्मचारी होंगे प्रभावित?
वर्तमान में 97,019 कर्मचारी ओपीएस का लाभ ले रहे हैं।
एनपीएस से जुड़े 1,00,937 कर्मचारी अब यूपीएस का विकल्प चुन सकते हैं।
यूपीएस लागू होने से सरकार पर प्रति माह 41 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
चुनावी रणनीति का हिस्सा या कर्मचारी हितैषी फैसला?
ओपीएस के मुद्दे को ठंडा करने की कोशिश?
विपक्षी दल कांग्रेस लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली की मांग कर रहा था और इसे आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा था। लेकिन, सीएम धामी की इस नई पहल से अब सरकार ने विपक्ष के इस हथियार को कमजोर करने की रणनीति बनाई है। सीएम धामी की यह घोषणा ऐसे समय आई है जब उत्तराखंड में पंचायत चुनाव नजदीक हैं। सरकार का यह फैसला एक ओर जहां कर्मचारियों को राहत देने वाला कदम है, वहीं यह चुनावों से पहले विपक्ष के हमले को कमजोर करने की रणनीति भी हो सकती हैं।