US-India: भारत की समुद्री सुरक्षा को मिलेगी नई मजबूती, सोनोब्वाय की ताकत से कांप जाएंगे पड़ोसी देश

US-India: भारत की समुद्री सुरक्षा को मिलेगी नई मजबूती, सोनोब्वाय की ताकत से कांप जाएंगे पड़ोसी देश
Last Updated: 12 सितंबर 2024

अमेरिका और भारत के बीच पनडुब्बी रोधी युद्धक सोनोब्वाय और संबंधित उपकरणों की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री के लिए समझौता फाइनल हो चुका है। एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय (Sonobuoys) के साथ, भारतीय नौसेना समुद्र के भीतर दुश्मन की पनडुब्बियों की बेहद धीमी आवाजों को भी स्पष्ट रूप से सुन सकेगी। इस तकनीक के माध्यम से भारत की समुद्री सुरक्षा और ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

New Delhi: भारत की समुद्री सुरक्षा एक नई दिशा में बढ़ने जा रही है। अमेरिका ने भारत को पनडुब्बी रोधी युद्धक सोनोबॉय और संबंधित उपकरणों की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री के लिए डील को अंतिम रूप दे दिया है। इस करार की अनुमानित लागत 52.8 मिलियन डॉलर होगी। आइए पहले समझते हैं कि भारतीय नौसेना को सोनोबॉय की आवश्यकता क्यों पड़ी।

सोनोबॉय: एक पोर्टेबल सोनार सिस्टम

सोनोबॉय एक अत्याधुनिक पोर्टेबल सोनार प्रणाली है। इस सोनार प्रणाली का उपयोग करके पानी में ध्वनि तरंगें प्रसारित की जाती हैं। यदि इन तरंगों के मार्ग में कोई पनडुब्बी, जहाज या अन्य वस्तु टकराती है, तो इसकी प्रतिध्वनि (इको) प्राप्त होती है। सोनोबॉय के तीन मुख्य प्रकार होते हैं: सक्रिय, निष्क्रिय और विशेष उद्देश्य के लिए निर्मित सोनोबॉय। इन सोनोबॉय के माध्यम से भारतीय नौसेना समुद्र में पाकिस्तान और चीन की नापाक गतिविधियों का प्रभावी जवाब देने में और भी सक्षम हो जाएगी।

भारत में MH-60R हेलीकॉप्टरों का पहला "Squadron" तैयार

समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम भारतीय नौसेना ने हाल ही में एमएस-60आर हेलीकॉप्टरों का पहला स्क्वाड्रन तैयार किया है। ये हेलीकॉप्टर, जो अमेरिकी मूल के MH-60R हेलीकॉप्टरों के रूपांतरण हैं, समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन हेलीकॉप्टरों में सोनोबॉय (Anti Submarine Warfare Sonobuoys) लगे हुए हैं, जो एकॉस्टिक सेंसर से लैस हैं। इन सोनोबॉय की मदद से भारतीय नौसेना समुद्र के अंदर दुश्मन की सबमरीन की बेहद धीमी आवाजों को भी पकड़ सकेगी।

इस तकनीक के साथ, भारत की पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी होगी, जिससे समुद्री क्षेत्र में किसी भी खतरे से निपटने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा। एमएस-60आर हेलीकॉप्टरों की तैनाती भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं में एक बड़ा कदम है। ये हेलीकॉप्टर केवल दुश्मन की सबमरीन का पता लगाने में सक्षम होंगे, बल्कि समुद्री क्षेत्र में निगरानी, खोज और बचाव अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

नौसेना की ताकत हुई और भी मजबूत

भारत ने अपनी नौसेना की ताकत में एक और बढ़ोतरी की है। देश ने एमएस-60 आर हेलीकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वॉड्रन बना लिया है। यह स्क्वॉड्रन अमेरिका से आपूर्ति किए गए छह हेलीकॉप्टरों से बना है। इन हेलीकॉप्टरों की खासियत यह है कि ये युद्ध के समय दुश्मन की सबमरीन को खत्म करने में बहुत कारगर साबित होंगे। यह कदम भारतीय नौसेना की क्षमता को और बढ़ाएगा और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा।

 

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