Uttrakhand Education News: उत्तराखंड में प्रधानाचार्य की भर्ती को लेकर विरोध प्रदर्शन, शिक्षिकों की हड़ताल से छात्रों की पढ़ाई पर पड़ा असर, पढ़ें खबर

Uttrakhand Education News: उत्तराखंड में प्रधानाचार्य की भर्ती को लेकर विरोध प्रदर्शन, शिक्षिकों की हड़ताल से छात्रों की पढ़ाई पर पड़ा असर, पढ़ें खबर
Last Updated: 15 सितंबर 2024

उत्तराखंड में प्रधानाचार्यों की सीमित भर्ती को लेकर शिक्षकों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन की वजह से प्रदेश के सैकड़ों विद्यालयों में लगभग तीन लाख छात्रों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सरकार और शिक्षकों के बीच इस संघर्ष में चाहे किसी की भी जीत हो, लेकिन हजारों गरीब और वंचित बच्चों की हार निश्चित हैं।

देहरादून: प्रधानाचार्य की सीमित भर्ती के खिलाफ राजकीय इंटर कॉलेजों के प्रवक्ता आंदोलन कर रहे हैं, जिसके कारण प्रदेश के सैकड़ों विद्यालयों में पिछले कुछ दिनों से लगभग तीन लाख छात्र-छात्राओं का पढ़ाई का माहौल बुरी तरह प्रभावित हो गया है। सरकार और शिक्षकों के बीच चल रही इस लड़ाई में यदि किसी की भी जीत हो, लेकिन हार निश्चित रूप से हजारों गरीब और अविकसित नौनिहालों की होगी। अगर सरकार भर्ती परीक्षा को रद्द भी कर देती है, तब भी शिक्षकों के वरिष्ठता विवाद का समाधान होते हुए नहीं दिखता। अंततः 90 प्रतिशत प्रधानाचार्य विहीन इंटर कॉलेजों को प्रधानाचार्य कैसे मिलेंगे, इसका कोई समाधान नहीं खोजा जा रहा है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव हजारों ग्रामीण विद्यार्थियों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा हैं।

सरकार के समक्ष शिक्षकों ने रखा अपना पक्ष

शिक्षक अपनी पदोन्नति के लिए मजबूती से सरकार के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन उन गरीब ग्रामीण अभिभावकों की पीड़ा का कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिनके बच्चे सरकारी राजकीय इंटर कालेजों पर निर्भर हैं। गांवों में ट्यूशन की व्यवस्था का भी अभाव है। 50 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ट्यूशन फीस देने में सक्षम नहीं हैं। शिक्षकों के आंदोलन के बाद इन मुद्दों के समाधान की भी आवश्यकता होगी। जबकि कई शिक्षक सीधी भर्ती को प्रवक्ता संवर्ग के लिए प्रदेश सरकार की पहल को सकारात्मक मान रहे हैं।

हेडमास्टर की पदोन्नति के बाद भी इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद रहेंगे रिक्त

जानकारी के मुताबिक केवल अध्यापक ही पांच वर्ष की सेवा के बाद प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति प्राप्त करते थे। यह ध्यान देने योग्य है कि पहले प्रवक्ता या एलटी शिक्षक सीधे प्रधानाचार्य नहीं बन सकते थे। हालांकि, दो वर्ष पहले पहली बार संशोधित नियमावली में यह प्रावधान किया गया कि प्रधानाचार्य के कुल पदों में से 50 प्रतिशत हेडमास्टर पद से वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत होकर प्रधानाचार्य बनेंगे, जबकि आधे पद विभागीय सीमित परीक्षा के माध्यम से प्रवक्ता प्रधानाचार्य के रूप में भरे जाएंगे।

इस बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि हेडमास्टर की पदोन्नति के बावजूद इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पदों की भरपाई में कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा।विभाग की संरचना इस प्रकार है कि यदि सभी हेडमास्टरों को एक साथ पदोन्नति भी दी जाए, तो भी कई इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पद खाली रहेंगे। इसका मुख्य कारण यह है कि राज्य में हाई स्कूलों की संख्या 910 है, जबकि इंटर कॉलेजों की संख्या 1385 है।

क्यों किया शिक्षकों ने विरोध

शिक्षकों ने दो साल पहले प्रधानाचार्य संशोधित नियमावली का विरोध नहीं किया था, और न ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि प्रधानाचार्य नियमावली को किस तरह होना चाहिए था। इस प्रधानाचार्य नियमावली को बने लगभग दो वर्ष हो चुके हैं। इस बीच संगठन, सरकार और विभाग के बीच कई बैठकें हुईं, जिनमें से कुछ में इस नियमावली का उल्लेख भी किया गया।

विभाग के मिनट्स में नियमावली और प्रधानाचार्य के पदों पर विभागीय सीमित परीक्षा के आधार पर पदोन्नति का भी जिक्र किया गया। अब जब ये पद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को सौंप दिए गए हैं, तो ये पद भी एक तरह से विवादित हो चुके हैं और इन पर वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति नहीं की जा सकेगी।

न्यायालय में वरिष्ठता संबंधित विवाद लंबित

न्यायालयों में वरिष्ठता से संबंधित लंबित वादों और कुछ मामलों में स्थगन के कारण वरिष्ठता आधारित पदोन्नति अब लगभग सभी हितधारक, जैसे कि शिक्षक, विभाग और सरकार, के लिए नामुमकिन मानी जा रही है। ऐसे में विद्यालयों की स्थिति कब तक कामचलाऊ रहेगी? आज की स्थिति यह है कि 1385 इंटर कालेजों में से 1101 प्रधानाचार्य के बिना हैं और छात्र व्यवस्था की ओर उम्मीद भरी नजरें लगाए बैठे हैं। इस सीमित विभागीय परीक्षा को रोकने के लिए शिक्षक भले ही सीएल लेकर आंदोलित रहे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से विद्यालयों में पठन-पाठन का माहौल पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है।

20 अप्रैल तक उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा के परिणाम होंगे घोषित

विद्यालय शिक्षा के वार्षिक कैलेंडर के अनुसार, अक्टूबर महीने में अर्द्धवार्षिक परीक्षा आयोजित की जाएगी और फरवरी में उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा होगी। शिक्षा मंत्री ने यह घोषणा की है कि 20 अप्रैल तक उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। यदि आंदोलन लंबा चलता है, तो छात्रों को परीक्षाओं की तैयारी के लिए बहुत कम समय मिलेगा। राजकीय शिक्षक संघ ने जिस पत्र के जरिए शिक्षकों के आंदोलन का आह्वान किया, उस पर केवल प्रांतीय महामंत्री के हस्ताक्षर थे, जबकि प्रांतीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर अनुपस्थित थे। अपने संबोधन में प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि यह आंदोलन केवल प्रांत का नहीं, बल्कि जनपदों का है। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि प्रांतीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष और महामंत्री का आमरण अनशन पर न बैठना भी इस आंदोलन में संशय उत्पन्न करता हैं।

 

 

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