Waqf Amendment Bill 2024: ताजमहल समेत देश के 120 स्मारकों को लेकर वक्फ बोर्ड और ASI के बीच खींचतान, जानिए क्या है पूरा मामला?

Waqf Amendment Bill 2024: ताजमहल समेत देश के 120 स्मारकों को लेकर वक्फ बोर्ड और ASI के बीच खींचतान, जानिए क्या है पूरा मामला?
Last Updated: 30 नवंबर -0001

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने वक्फ संशोधन विधेयक-2024 का समर्थन करते हुए कहा है कि देश के 120 ऐतिहासिक स्मारकों को लेकर वक्फ बोर्ड के साथ विवाद चल रहा है, जिससे इन स्मारकों के संरक्षण और देखरेख के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

आगरा: वक्फ संशोधन विधेयक-2024 को लेकर देशभर में ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के संदर्भ में  गहन चर्चा हो रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विधेयक के समर्थन में अपनी बात रखते हुए कहा है कि देश के लगभग 120 स्मारकों को लेकर वक्फ बोर्ड के साथ लगातार विवाद होता रहा है, जिससे इन स्मारकों के संरक्षण और देखभाल में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। एएसआई ने फतेहपुर सीकरी और अटाला मस्जिद के उदाहरणों का हवाला दिया, जहां इस खींचतान के कारण संरक्षण कार्य में दिक्कतें आई हैं।

एएसआई ने ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के 2005 के दावे का भी जिक्र किया। इस घोषणा को एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिससे यह मामला कानूनी विवाद का विषय बन गया। वर्तमान में वक्फ संशोधन विधेयक-2024 पर संयुक्त संसदीय समिति आपत्ति और सुझाव मांग रही है, जिसके बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

वक्फ बोर्ड द्वारा ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने का मामला तब शुरू हुआ जब मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की गई थी। यह विधेयक इन विवादों को सुलझाने और स्मारकों के संरक्षण को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से पेश किया गया हैं।

बोर्ड ने 2005 में ताजमहल को घोषित किया था वक्फ संपत्ति

जानकारी के मुताबिक वर्ष 1998 में मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की याचिका दायर की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उन्हें वक्फ बोर्ड जाने की सलाह दी। इसके बाद बेदार ने वक्फ बोर्ड से ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग की। इस मांग के जवाब में वक्फ बोर्ड ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया, जिसका एएसआई ने विरोध किया और ताजमहल को अपनी संपत्ति बताया। इसके बावजूद, वक्फ बोर्ड ने वर्ष 2005 में एएसआई की आपत्तियों को खारिज करते हुए ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया।

एएसआई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और वक्फ बोर्ड के आदेश को चुनौती दी। यह मामला अभी भी कानूनी विवाद का विषय है, जिसमें एएसआई का तर्क है कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है और इसकी देखरेख और संरक्षण उसकी जिम्मेदारी है। एक प्रमुख उदाहरण के तौर पर 2005 में वक्फ बोर्ड ने ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था, जिसे एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। यह मुद्दा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्मारकों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण एएसआई की जिम्मेदारी है, जबकि वक्फ बोर्ड का कहना है कि वे धार्मिक संपत्तियों के संरक्षक हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने के वक्फ बोर्ड के आदेश पर रोक लगा दी थी। अप्रैल 2018 में इस मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस तरह के मामलों में अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। अदालत ने कहा था कि यह विश्वास करना मुश्किल है कि ताजमहल वक्फ संपत्ति है, खासकर जब वक्फ बोर्ड शाहजहां के हस्ताक्षर वाला कोई वक्फनामा पेश नहीं कर पाया था।

एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शम्सुद्दीन ने बताया कि वक्फ बोर्ड की स्थापना मजारों, मदरसों, और मस्जिदों के लिए छोड़ी गई भूमि की देखरेख और संरक्षण के लिए की गई थी। वक्फ संपत्तियों की बिक्री उन्हीं लोगों ने की, जिन्हें संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई थी। वक्फ एक्ट 1954 में लागू हुआ था, जबकि ताजमहल उस समय भी मौजूद था। उनका कहना है कि ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करना वक्फ बोर्ड की कमाई के लालच का परिणाम था।

भारत सरकार का है ताजमहल - सुप्रीम कोर्ट

जानकारी के मुताबिक वर्ष 1920 में ब्रिटिश भारत में ताजमहल को एक संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित करते हुए एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इस नोटिफिकेशन के तहत ताजमहल को विशेष संरक्षण और देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी। यह स्मारक भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और इसे भारतीय सरकार की संपत्ति के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।

साल 1858 की घोषणा के अनुसार जब ब्रिटिश शासन ने भारत में अपनी पकड़ मजबूत की, तो आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से ली गई संपत्तियों का स्वामित्व ब्रिटिश महारानी के पास चला गया था। इसका मतलब था कि ब्रिटिश राज ने इन संपत्तियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया था और उनके संरक्षण के लिए नीतियाँ और व्यवस्थाएँ लागू की गईं। आज ताजमहल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधीन है, जो इसकी देखरेख और संरक्षण के लिए जिम्मेदार हैं।

 

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