वक्फ संशोधन विधेयक की जेपीसी रिपोर्ट पर विपक्ष ने असहमति जताई। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में विपक्ष की आपत्तियां नहीं जोड़ी गईं और सरकार धार्मिक संपत्तियों पर कब्जे की साजिश कर रही है।
Waqf Amendment Bill: राज्यसभा में गुरुवार (13 फरवरी) को वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट को लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया और संसद में जोरदार हंगामा हुआ।
विपक्ष का आरोप – 'असहमति नोट को रिपोर्ट में नहीं किया गया शामिल'
विपक्षी दलों का आरोप है कि वक्फ संशोधन बिल के मसौदे पर चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा दर्ज कराए गए असहमति नोट को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह रिपोर्ट गंभीर संवैधानिक खामियों से भरी हुई है और पूरी तरह अपूर्ण है।
सत्ता पक्ष का बचाव – 'रिपोर्ट में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई'
हालांकि, सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट में कोई कांटछांट नहीं की गई है। उनका दावा है कि संयुक्त संसदीय समिति ने पूरी तरह विचार-विमर्श और सहमति के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया और अब इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा।
'विपक्ष की राय को कूड़ेदान में क्यों डाला?' – संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस मुद्दे पर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
"मैं जेपीसी का सदस्य रहा हूं। यह बेहद अफसोस की बात है कि विपक्ष ने अपनी असहमति दर्ज कराई थी, लेकिन उसे रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। आपने जेपीसी रिपोर्ट को मजाक बना दिया है। लोकतंत्र में हर दल को अपनी राय देने का अधिकार है। आप हमारी राय को कूड़ेदान में कैसे डाल सकते हैं?"
'गुरुद्वारों, मंदिरों और चर्च की जमीनों पर भी आ सकता है कानून'
संजय सिंह ने आगे कहा कि यह केवल एक शुरुआत है। उन्होंने आशंका जताई कि आगे चलकर सरकार गुरुद्वारों, मंदिरों और चर्च की जमीनों पर भी कब्जा करने के लिए कानून लाएगी।
"याद रखिएगा, इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। अभी यह शुरुआत है। आगे गुरुद्वारों की जमीन पर कब्जा करने के लिए बिल लाया जाएगा। मंदिरों की जमीन कब्जाने के लिए भी बिल आएगा और चर्च की जमीन पर भी कब्जे की साजिश होगी। ये सारी जमीनें हड़पकर चंद पूंजीपतियों को सौंप दी जाएंगी।"
विपक्ष की मांग – 'रिपोर्ट को फिर से जेपीसी को भेजा जाए'
विपक्षी दलों ने मांग की है कि इस रिपोर्ट को दोबारा संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए और सभी असहमति नोट्स को इसमें शामिल किया जाए। मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से पारदर्शिता की मांग की।
सरकार vs विपक्ष – संसद में बढ़ सकता है टकराव
इस मुद्दे को लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ सकता है। विपक्षी दल इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं, जबकि सरकार इसे सही ठहराने की कोशिश कर रही है। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है।