वकील से मारपीट के मामले में हाई कोर्ट की कठोर टिप्पणी, कहा -'पटना किसी के लिए भी सुरक्षित शहर नहीं,'

वकील से मारपीट के मामले में हाई कोर्ट की कठोर टिप्पणी, कहा -'पटना किसी के लिए भी सुरक्षित शहर नहीं,'
Last Updated: 14 मार्च 2024

वकील से मारपीट के मामले में हाई कोर्ट की कठोर टिप्पणी, कहा -'पटना किसी के लिए भी सुरक्षित शहर नहीं,'

Bihar News: बिहार हाईकोर्ट ने मंगलवार (5 मार्च) को पटना पुलिस डिपार्टमेंट को भयंकर फटकार लगाई। पटना में जूनियर वकील के साथ मारपीट के एक मामले में आरोपी मकान मालिक का पक्ष लेने के लिए HC ने पटना पुलिस को फटकारा साथ ही कोर्ट में जस्टिस विवेक चौधरी ने पटना हाईकोर्ट के जूनियर वकील अभिषेक कुमार की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी में कहा कि 'पटना किसी के भी रहने के लिए सुरक्षित शहर नहीं है,'

अभिषेक कुमार ने अपने मकान मालिक और पटना के जक्कनपुर इलाके के अपराधियों के खिलाफ मामूली विवाद पर छुरी मारने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दरअसल, कुछ दिन पहले पार्किंग को लेकर याचिकाकर्ता और उसके साथी वकील से उसके मकान मालिक का झगड़ा हुआ था। इसके बाद मामूली झगड़े को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ गया और मकान मालिक ने छुरी से वकील पर वार किया, जिस कारण वह घायल हो गया था।

 कोर्ट ने SIT दल गठित करने का आदेश दिया

subkuz.com को मिली जानकरी के अनुसार, वकील ने पुलिस स्टेशन में शिकायत की, लेकिन पुलिस अधिकारी ने ऐसी धारा लगाई जिससे आरोपियों को थाने से ही बेल मिल जाए। वकील ने पुलिस डिपार्टमेंट पर किसी के दबाव में आईपीसी (IPC) की धारा 307 की जगह 308 लगाने का आरोप लगाया था। इसके बाद अब कोर्ट ने पटना के SSP राजीव मिश्रा को विशेष जांच दल (SIT) के गठन करने का आदेश दिया। जस्टिस विवेक चौधरी ने वकील अभिषेक कुमार श्रीवास्तव की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए SSP मिश्रा को आदेश दिया कि विशेष जांच दल (एसआईटी) में SDPO रैंक के दो अन्य पुलिस अधिकारी होंगे।

बताया कि इस जांच टीम में पहले से शामिल अधिकारी नहीं होगा और टीम SSP की देखरेख में जांच करेगी। वहीं कोर्ट ने कठोर शब्दों में कहा कि जक्कलपुर थाने की पुलिस टीम को अब इस मामले की जांच में शामिल नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने एसएसपी से उस इलाके और जक्कनपुर थाने के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। अदालत का मानना है कि पीड़ित जब पुलिस स्टेशन गए तो पुलिस ने उनकी FIR दर्ज नहीं की। इसके बाद दबाव बनाने पर पुलिस ने शिकायत लिखी। पुलिस IPS की धारा 323 और 308 के तहत मामला दर्ज किया और आरोपी को थाने से ही सीआरपीसी (CRPC) की धारा 41() के तहत रिहा कर दिया।

वकील ने आरोप में क्या कहा?

वहीं कोर्ट ने मकान मालिक की ओर से वकील पर किए गए केस को भी गलत बताते हुए कहा कि मकान मालिक और उसकी पत्नी द्वारा जिस छुरी से वार किया गया उससे किसी की जान भी जा सकती है। तो पुलिस टीम ने आईपीसी (IPS) की धारा 307 के तहत केस दर्ज क्यूं नहीं किया? वहीं वकील ने आरोप में कहा कि यह घटना 3 तारीख रात्रि को हुई, इसके बाद पुलिस स्टेशन में इसकी सूचना दी गई। 

जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने मुख्य आरोपी मकान मालिक नीतीश और उसके एक साथी को पकड़ लिया था, लेकिन पुलिस थानाधिकारी ने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए दोनों को रात को ही रिहा कर दिया था। बताया कि पुलिस ने दोनों को अपनी गाड़ी से घर छोड़ा था, जबकि वकील के कहने के बाद भी पुलिस ने पीड़ित को हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया था।

 

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