बांग्लादेश में चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर विवाद; हिंदू प्रदर्शनकारियों पर हमले, ISKCON ने भारत से मांगी मदद

बांग्लादेश में चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर विवाद; हिंदू प्रदर्शनकारियों पर हमले, ISKCON ने भारत से मांगी मदद
Last Updated: 4 घंटा पहले

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के नेता और इस्कॉन ट्रस्ट के पूर्व सचिव चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उनकी रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हिंदू समुदाय पर हमले की खबरें सामने आई हैं। इस घटना में कई लोग घायल हो गए, जिनमें एक प्रोफेसर भी शामिल हैं।

चिन्मय की गिरफ्तारी और आरोप

सोमवार को पुलिस ने चिन्मय कृष्ण दास को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया। पुलिस प्रवक्ता रेजाउल करीम ने बताया कि उन्हें राजद्रोह के मामले में पकड़ा गया है। हालांकि, आरोपों के विस्तृत विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला चटगांव में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान से जुड़ा है, जिसके लिए 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

इस्कॉन ने जताई चिंता, भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग

इस्कॉन ने चिन्मय की गिरफ्तारी को "निराधार" करार देते हुए कहा कि यह संस्था आतंकवाद के किसी भी रूप से जुड़ी नहीं है। इस्कॉन ने भारत सरकार से तत्काल दखल देकर बांग्लादेश सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है। संगठन ने कहा कि इस तरह की घटनाएं विदेशों में बांग्लादेश की छवि खराब कर सकती हैं।

हिंसक प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई

चिन्मय की रिहाई की मांग को लेकर ढाका और चटगांव में हिंदू समुदाय के सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। चटगांव के चेरागी पहाड़ चौराहे और राजधानी के शाहबाग इलाके में प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी। वायरल हुए वीडियो में पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और बल प्रयोग करते देखा गया।

प्रदर्शनकारियों पर हमले, कई घायल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शन के दौरान कई हिंदू प्रदर्शनकारियों पर हमले किए गए। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार कंचन गुप्ता ने सोशल मीडिया पर खून से लथपथ एक प्रदर्शनकारी की तस्वीर साझा करते हुए इन घटनाओं की कड़ी निंदा की।

चिन्मय के खिलाफ पुराने आरोप

चिन्मय पर बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हमलों के विरोध में प्रदर्शन करने के दौरान चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। 30 अक्टूबर को हुई रैली के बाद यह मामला दर्ज किया गया था।

हिंदू संगठनों की चेतावनी

सम्मिलिता सनातनी जोत और बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने चिन्मय की गिरफ्तारी को अस्वीकार्य बताते हुए चेतावनी दी है कि यदि उन्हें रिहा नहीं किया गया तो बड़े पैमाने पर आंदोलन होगा।

बांग्लादेश सरकार की साख पर सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सवाल उठाती हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है, और सरकार पर दबाव है कि वह इस मामले को जल्द सुलझाए।

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