कानपुर में ढहा 150 साल पुराना गंगापुल, ऐतिहासिक विरासत अब मलबे में तब्दील

कानपुर में ढहा 150 साल पुराना गंगापुल, ऐतिहासिक विरासत अब मलबे में तब्दील
Last Updated: 6 घंटा पहले

कानपुर: शहर के लिए ऐतिहासिक महत्व रखने वाला 150 साल पुराना गंगापुल मंगलवार सुबह ढह गया। यह पुल अंग्रेजों के जमाने में 1875 में बनाया गया था और अपनी अनूठी वास्तुकला के कारण चर्चित था। पुल का एक हिस्सा गंगा नदी में गिरने से इलाके में हड़कंप मच गया। गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने ढहे पुल को देखा तो अफरातफरी मच गई।

ऐतिहासिक पुल से जुड़ी यादें

यह पुल दो मंजिला था, जिसमें नीचे पैदल यात्री और साइकिल सवार चलते थे, जबकि ऊपर वाहनों के लिए मार्ग था। कई चर्चित फिल्मों की शूटिंग भी इस पुल पर हुई थी। “कानपुर कनकैया, नीचे बहती गंगा मैया” जैसे संवाद इसी पुल से प्रेरित हैं।

2021 में हुआ था यातायात के लिए बंद

पुल की स्थिति लंबे समय से जर्जर थी। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इसे 2021 में यातायात के लिए बंद कर दिया था। तत्कालीन डीएम आलोक तिवारी को सौंपी गई रिपोर्ट में इसे असुरक्षित घोषित किया गया था। हालांकि, इसे संरक्षित करने या पूरी तरह तोड़ने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ।

गिरा पुल का हिस्सा

कानपुर छोर की ओर पुल के नौवें और दसवें खंभे के बीच का हिस्सा मंगलवार तड़के ढह गया। गंगा स्नान के लिए आए लोगों ने जब इस स्थिति को देखा, तो मौके पर हड़कंप मच गया। खबर फैलने के बावजूद अब तक किसी अधिकारी ने घटना स्थल का दौरा नहीं किया।

अंग्रेजी शासन की धरोहर

गंगापुल का निर्माण 1875 में अंग्रेजी शासन के दौरान हुआ था। उस समय यह पुल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना माना जाता था। यह पुल कानपुर को शुक्लागंज और उन्नाव से जोड़ता था। इसे यातायात के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता था।

संरक्षण पर सवाल

पिछले कुछ वर्षों से इस पुल को लेकर संरक्षण की योजनाएं बन रही थीं। लेकिन इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए था।

इलाके में दहशत, कोई हताहत नहीं

हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन पुल का ढहना स्थानीय प्रशासन और संरचनात्मक सुरक्षा पर सवाल उठाता है। लोग इसे अंग्रेजों की अनदेखी धरोहर और कानपुर की ऐतिहासिक पहचान के रूप में याद करते हैं।

स्थानीय लोगों की मांग

स्थानीय निवासियों ने सरकार से इस पुल के इतिहास और महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे संरक्षित करने की मांग की है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।

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