ईरान ने पाकिस्तान में किया हमला - क्या था इसके पीछे का कारण ?

ईरान ने पाकिस्तान में किया हमला - क्या था इसके पीछे का कारण ?
Last Updated: 06 फरवरी 2024

ईरान ने पाकिस्तान में किया हमला - क्या था इसके पीछे का कारण ?

पाकिस्तान और ईरान ने एक-दूसरे के ऊपर हाल ही में हमला किया है। उन्होंने इसका दावा किया है कि यह कदम आतंकवादियों के खिलाफ है, और यह आम नागरिकों के लिए बिलकुल नहीं था। पहले ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हमला किया। उसके एक दिन के बाद, पाकिस्तानी सेना ने ईरान में एयर स्ट्राइक किया। इन घटनाओं ने मध्य पूर्व से लेकर दक्षिण एशिया तक आतंक फैला दिया है। 

ईरान के पाकिस्तान पर इस हवाई हमले का कारण क्या था?

तेहरान ने इराक और सीरिया में ईरान के खिलाफ आतंकवादी समूहों के खिलाफ हमले की शुरुआत की थीं। इसके बाद, उन्होंने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में उग्रवादी स्थलों को लक्ष्य बनाया। ईरान के विदेश मंत्री वर्तमान में दावोस के वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया की, पाकिस्तान को निशाना बनाया गया है, क्योंकि वह तथाकथित 'जैश अल-अदल' समूह है, जो पाकिस्तान की ज़मीन पर से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। 

पाकिस्तान ने क्यों किया जवाबी हमला?

ईरान के हमले से पाकिस्तान में लोगों का आक्रोश सरकार के प्रति लगातार बढ़ रहा था। चुनावों के बहुत पहले कार्यवाहक सरकार इस विरोध को संभालने की स्थिति में नहीं थी। इस पर पाकिस्तान ने जवाबी हमला करने का निर्णय लिया। पाकिस्तान ने ईरानी हमले के दो दिन बाद सिस्तान और बलूचिस्तान में कथित रूप से अलगाववादी स्थानों पर हवाई हमला किया। पाकिस्तान ने इसे अत्यधिक समन्वित और विशेष रूप से लक्षित सटीक सैन्य हमलों की एक श्रृंखला करार दी है। हमलों की घोषणा करते हुए, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि कई आतंकवादी मारे गए। वहीं, ईरानी अधिकारीयों ने बताया कि सिलसिलेवार विस्फोटों में कम से कम सात लोगों की मौके पर मौत हो गई जिनमे तीन महिलाए थी और चार बच्चेथे ।

यह आतंकवादी संगठन कब बना और कौन है इसका हेड?

इस संगठन का पहले नाम जुनदल्लाह था, लेकिन साल 2012 में इसका नाम बदल दिया गया। नेशनल इंटेलिजेंस की वेबसाइट के अनुसार, इसे ‘पीपल्स रेसिस्टेंस ऑफ़ ईरान’ भी कहा जाता है। अब्दुल मलिक रेगी ने 2002 या 2003 में इस संगठन की स्थापना की थी, और वह कई सालों तक इसके नेता भी रहे थे। ईरान ने साल 2010 में उन्हें गिरफ़्तार करके मौत की सज़ा दी। साल 2011 से सलाहुद्दीन फ़ारूकी इस समूह के नेता है, और जैश अल-अद्ल के रूप में उन्हें ‘अमीर’ और ‘बलूचिस्तान जिहाद’ का नेता माना जाता है।

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