USAID: भारत के सबसे बड़े दुश्मन की उड़ी नींद, राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से हाफिज सईद के आतंकी संगठन की टूटेगी कमर, जानिए पूरी जानकारी

USAID: भारत के सबसे बड़े दुश्मन की उड़ी नींद, राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से हाफिज सईद के आतंकी संगठन की टूटेगी कमर, जानिए पूरी जानकारी
अंतिम अपडेट: 5 घंटा पहले

यूएस एजेंसी फार इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से प्राप्त धन के भारत विरोधी संगठन के वित्त पोषण में इस्तेमाल होने का मामला एक गंभीर मुद्दा बनकर सामने आया है। अमेरिका द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, यूएसएआईडी ने लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) को फंडिंग की है। यह संगठन मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा के साथ शामिल था।

वॉशिंगटन: अमेरिकी सरकार के वैधानिक निकाय, यूएस एजेंसी फार इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से प्राप्त धन का उपयोग भारत विरोधी और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले संगठन के वित्त पोषण में किया गया है। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) को यूएसएआईडी से फंडिंग मिलने का मामला सामने आया है, जबकि लश्कर-ए-तैयबा को अमेरिकी सरकार ने पहले ही आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा हैं।

यह घटना उस समय सामने आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यकारी आदेश के माध्यम से यूएसएआईडी की फंडिंग पर रोक लगाने और इसके बंद करने का निर्णय लिया है। ट्रंप प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और इस प्रकार की फंडिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का संकेत दिया है। यह कदम यूएसएआईडी द्वारा की जा रही फंडिंग की पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, ताकि कोई भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग का इस्तेमाल न कर सके।

भारत के सबसे बड़े दुश्मन की उड़ी नींद

यूएसएआईडी ने ऐसे संगठन को वित्त पोषित किया, जिसे अमेरिकी सरकार ने पहले ही आतंकवादी गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित कर दिया था। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF), जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है, 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल था, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय शहर मुंबई में घातक हमला किया था, और इसके परिणामस्वरूप 166 लोगों की जान गई थी, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। यह हमला आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष के लिए एक कड़ा संदेश था, और अब यह सामने आ रहा है कि यूएसएआईडी ने इस तरह के संगठन को धन जारी किया, जबकि यह संगठन पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों की जद में था।

इससे यह सवाल उठता है कि कैसे यूएसएआईडी, जो अंतरराष्ट्रीय सहायता देने के लिए जिम्मेदार है, एक ऐसे संगठन को फंडिंग जारी कर सकता है जिसे अमेरिकी सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण प्रतिबंधित किया है। यह पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है, खासकर जब अमेरिकी करदाताओं का पैसा ऐसे संवेदनशील और विवादास्पद संगठनों को जा रहा हो।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसएआईडी के कार्यों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है, और इसके तहत कार्यकारी आदेश द्वारा इस एजेंसी की फंडिंग पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, इसका असर भारत जैसी देशों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि यूएसएआईडी ने भारत में भी कई परियोजनाओं का समर्थन किया हैं।

हाफीज सईद से जुड़ा क्या है पूरा मामला 

यूएसएआईडी जैसे अमेरिकी सरकारी निकाय ने एक ऐसे संगठन को सहायता दी, जिसे पहले ही अमेरिकी सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण प्रतिबंधित कर दिया था। एफआइएफ (फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन) को लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जमात-उद-दावा (JUD) से जुड़ा हुआ माना जाता है, और यह संगठन 2008 के मुंबई हमलों से जुड़ा हुआ है। एफआइएफ का गठन स्पष्ट रूप से आतंकवादी गतिविधियों से बचने के लिए किया गया था, क्योंकि यह संगठन नए नाम के साथ अपनी पहचान बदलने की कोशिश कर रहा था, ताकि जांच और प्रतिबंधों से बच सके।

2019 में यूएसएआईडी ने हाफिज सईद के नेतृत्व वाले आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को $110,000 की मदद दी थी, जो और भी चिंताजनक है, क्योंकि यह धन अमेरिकी करदाताओं के पैसों से आया था और एक आतंकवादी संगठन को दिया गया था। यह दर्शाता है कि यूएसएआईडी ने अपनी नीति या निगरानी प्रणालियों में कहीं न कहीं चूक की, जिससे आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता मिल सकी।

इसके अलावा, मिशिगन स्थित मुस्लिम धर्मार्थ संस्था 'हेल्पिंग हैंड फार रिलीफ एंड डेवलपमेंट' (एचएचआरडी) के जरिए भी एफआइएफ को सहायता दी गई। इस संस्था का दक्षिण एशिया में जिहादी संगठनों के साथ संबंध रहा है, और यह भी एक संकेत है कि यूएसएआईडी को एफआइएफ के साथ जुड़े जोखिमों के बारे में जानकारी थी, फिर भी उसने इस पर कार्रवाई नहीं की। 

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