जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तैयारियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इस समय चुनाव आयोग जल्द विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान कर सकता है। यह चुनाव 4 से 5 चरणों में आयोजित किए जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय के साथ सुरक्षा की समीक्षा के बाद ही अंतिम निर्णय (Final Dision) लिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के उत्तरी क्षेत्रों में चुनाव पहले कराने की संभावना है, क्योंकि वहां की सुरक्षा स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण (Challanging) बनी हुई है।
New Delhi: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को लेकर गतिविधियांग (Activities) तेज हो गई हैं। हालांकि, मौजूदा सुरक्षा स्थिति में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराना 'चुनौतीपूर्ण' माना जा रहा है, फिर भी भारत के चुनाव आयोग विभिन्न समय-निर्धारण विकल्पों पर विचार कर रहा है। संभावना है कि उत्तरी कश्मीर में सबसे पहले चुनाव (Election) होंगे। इसके लिए चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों का ऐलान कर सकता है। उत्तरी और दक्षिणी कश्मीर दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव के प्रारंभिक चरणों में मतदान कराना और उसके बाद मध्य कश्मीर और जम्मू में चुनाव कराने की प्रक्रिया भी शामिल है।
चुनाव प्रक्रिया विभिन्न चरणों में विभाजित
मिली जानकारी के अनुसार, पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर प्रशासन और सुरक्षा विभागों ने चुनाव आयोग को सूचित किया कि केंद्र शासित प्रदेश में चुनावों को चरणबद्ध तरीके से आयोजित करने के लिए क्या विकल्प उपलब्ध हैं। इसके अलावा यह उम्मीद जताई जा रही है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव 4-5 चरणों में संपन्न हो सकते हैं। वर्ष 2014 में जब जम्मू-कश्मीर में अंतिम विधानसभा चुनाव हुए थे, तब मतदान पांच चरणों में करवाया गया था। चुनाव आयोग के अध्यक्ष राजीव कुमार के नेतृत्व में पूरा आयोग 8 से 10 अगस्त के बीच श्रीनगर और जम्मू का दौरा कर चुनाव की तैयारियों का निरीक्षण कर चुका है।
राजनीतिक दलों की जल्द चुनाव कराने की मांग
उम्मीद है कि इस सप्ताह के अंत में गृह मंत्रालय के साथ सुरक्षा समीक्षा के बाद चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर के चुनाव की तारीखों पर अंतिम निर्णय करेगा। सभी राजनीतिक दलों ने जल्दी चुनाव कराने की मांग की है। वहीं, सरकार भी पूरी तैयारी करती नजर आ रही है, लेकिन हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों ने चुनाव आयोग को चिंतित कर दिया है।
आयोग के अनुसार, उत्तरी कश्मीर के जिलों में सुरक्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, संवेदनशील क्षेत्रों में पहले और दूसरे चरण में चुनाव कराना अधिक उचित होगा। इन क्षेत्रों में दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। उत्तरी कश्मीर में अनंतनाग, बारामुला, बुडगाम, बांदीपोर, गांदरबल, कुपवाड़ा, कुलगाम, पुलवामा, शोपियां और श्रीनगर जिले शामिल हैं। वहीं, दक्षिण कश्मीर में कठुआ, सांबा, रियासी, जम्मू और उधमपुर जैसे जिलों का समावेश है।
सुरक्षा बलों की व्यवस्था का किया अनुरोध
अक्टूबर से उत्तरी कश्मीर के ऊंचे क्षेत्रों में भारी बर्फबारी की संभावना को ध्यान में रखते हुए, वहां चुनाव कराना उचित समझा जा रहा है। अधिकांश राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग का ध्यान प्रवासी गुर्जर और बकरवाल मतदाताओं की स्थिति की ओर आकर्षित किया है। पार्टियों का कहना है कि इन समुदायों के क्षेत्रों में चुनाव का समय चुनाव कैलेंडर के अंत में निर्धारित किया जाए, ताकि वे मौसमी पलायन के बाद वोट (Vote) देने के लिए अपने घर लौट सकें। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा बलों की बड़ी तैनाती की आवश्यकता जताई है। बताया गया है कि उन्होंने विशेष रूप से अनुरोध किया है कि चुनाव की घोषणा से कम से कम दो हफ्ते पहले पर्याप्त सुरक्षा बलों की व्यवस्था की जाए, ताकि क्षेत्र में स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सके और आवश्यकतानुसार बचाव कार्रवाइयां की जा सकें।
उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा
यह अनुमान लगाया गया है कि प्रत्येक उम्मीदवार को अतिरिक्त सुरक्षा कवर की आवश्यकता होगी। इसलिए चुनावों के दौरान 600 से अधिक कंपनियों के अर्धसैनिक बलों की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके अलावा, यह भी विचार किया जा रहा है कि मौजूदा सुरक्षा बलों और कुल तैनाती स्तर को, जो पहले से ही अमरनाथ यात्रा के कारण बढ़ा हुआ है, चुनाव से पहले बनाए रखा जाए। ऐसा करने से सुरक्षा बलों को जमीनी स्थिति का बेहतर आकलन और समझ प्राप्त होगी।