आलम यह है कि कई विद्यालयों में फर्नीचर की कमी बनी हुई है। इन विद्यालयों में छात्र अक्सर कक्षाओं के दौरान फर्श पर बैठने को मजबूर होते हैं। इसके साथ ही, राज्य के स्कूलों में साफ-सफाई भी एक बड़ा मुद्दा है।
मध्य प्रदेश सरकार स्कूली बच्चों के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं। इसका सबसे गंभीर प्रभाव राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों पर पड़ रहा है। इन क्षेत्रों में परिस्थितियाँ अत्यंत चिंताजनक हैं, और बुनियादी ढांचा भी अपर्याप्त है। स्थिति यह है कि कई स्कूलों में फर्नीचर की भारी कमी है, जिसके चलते छात्र अक्सर कक्षाओं के दौरान फर्श पर बैठने को मजबूर हैं। इसके अलावा, राज्य के स्कूलों में साफ-सफाई एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। इन सभी कारणों के कारण बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं, जिनमें लड़कियों की संख्या सबसे अधिक है।
मध्य प्रदेश के स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात की चिंताजनक स्थिति
मध्य प्रदेश के स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात अत्यंत चिंताजनक स्तर पर पहुँच चुका है। इसके अलावा, दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षकों की अनुपस्थिति नियमित कक्षाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। इसके साथ ही, संबंधित विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। राज्य के कई स्कूलों में गणित और विज्ञान के शिक्षकों की कमी देखी जा रही है, जिसके कारण अन्य विषयों के शिक्षकों को इन विषयों की पढ़ाई करवाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह स्थिति छात्रों की शिक्षा को प्रभावित कर रही है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न कर रही है।
राज्य के स्कूलों में लगभग 70 हजार पद खाली
राज्य में शिक्षकों की कमी के चलते सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति बहुत खराब है। वर्तमान में, स्कूलों में करीब 70 हजार पद भरे नहीं हैं। ऐसे 1200 स्कूल हैं जहाँ एक भी शिक्षक नहीं है। वहीं, 6,000 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जो बच्चों को सभी विषय पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, राज्य की शिक्षा गुणवत्ता का सही अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में टेक्नोलॉजी का अंतर
मध्य प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के बीच तकनीकी अंतर दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। कोविड-19 के बाद, राज्य के निजी स्कूलों ने डिजिटल शिक्षण विधियों को तेजी से अपनाया है, जबकि अधिकांश सरकारी स्कूलों में बुनियादी कंप्यूटर सुविधाओं की कमी है। विशेष रूप से कोविड-19 के असर के बाद, मध्य प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के बीच तकनीक के उपयोग में जो अंतर था, वह अब और भी स्पष्ट हो गया है।