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Success Story: यूपी के उत्कर्ष शुक्ला ने राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से हासिल किया नया मुकाम, जानें उनकी सफलता का राज

Success Story: यूपी के उत्कर्ष शुक्ला ने राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से हासिल किया नया मुकाम, जानें उनकी सफलता का राज
Last Updated: 2 दिन पहले

आज हम आपको एक ऐसे युवा की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत, संघर्ष और समर्पण के साथ सफलता की ऊँचाइयों को छुआ है। इस युवा का नाम है उत्कर्ष शुक्ला, जो यूपी के अमेठी जिले से ताल्लुक रखते हैं। 20 साल के उत्कर्ष ने राजीव गांधी पेट्रोलियम संस्थान, अमेठी से बीटेक की डिग्री हासिल की और इसके साथ ही राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित भी हुए।

संघर्ष और मेहनत की कहानी

हर सफलता के पीछे एक संघर्ष की कहानी छुपी होती है, और उत्कर्ष की कहानी भी इसी बात को साबित करती है। उत्कर्ष के पिता एक सरकारी अध्यापक हैं, और उनकी मां गृहिणी हैं। बचपन से ही उत्कर्ष का सपना था कि वह कुछ बड़ा करें और देश का नाम रोशन करें। उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब कोरोना के दौरान उन्हें पढ़ाई के लिए किताबों और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत जारी रखी।

लोकल 18 से बातचीत में उत्कर्ष ने बताया, “कोरोना महामारी के दौरान जब स्कूल और कॉलेज बंद थे, तब मुझे अपनी पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ा। किताबों की कमी और इंटरनेट की दिक्कतों के बावजूद मैंने पढ़ाई में अपनी मेहनत जारी रखी। कभी कभी तो तैयारी भी रुक जाती थी, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। आज मुझे राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है, जो मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।”

कड़ी मेहनत का नतीजा

उत्कर्ष ने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि अपने माता-पिता और अपने शहर अमेठी का नाम भी रोशन किया है। उनका कहना है कि यह सफलता उनके लिए एक बड़ी जीत है, लेकिन यह केवल उनका नहीं, बल्कि उनके परिवार और मित्रों का भी है। उत्कर्ष का मानना है कि यह उनकी मेहनत और संघर्ष का ही परिणाम है कि उन्हें इतनी बड़ी उपलब्धि मिली।

अब 20 साल की उम्र में उत्कर्ष भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में ग्रेड वन ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं। यह उनके लिए एक नई शुरुआत है, और वह अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

माँ का गर्व और आशीर्वाद

उत्कर्ष की सफलता में उनकी मां का बड़ा हाथ है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा हमेशा ही मेहनती और ईमानदार रहा है। अपनी मां के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, “इस सफलता के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। इस दौरान जितने संघर्ष किए गए, वह सब अब पीछे रह गए हैं। बस अब खुशी है तो बेटे की सफलता को लेकर।”

उनकी मां के शब्दों में गहरी भावनाएं और गर्व झलकता है। उत्कर्ष के लिए यह सफलता उनके परिवार के लिए भी बहुत मायने रखती है, क्योंकि उनकी मां और पिता ने हमेशा ही उन्हें संघर्ष और कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा दी थी।

उत्कर्ष शुक्ला की सफलता का संदेश

उत्कर्ष की सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत और संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाते। चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, यदि व्यक्ति में जीतने की ललक और आत्मविश्वास हो, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।
उनका जीवन यह दिखाता है कि अगर किसी में सपना देखने और उसे पूरा करने की हिम्मत हो, तो वह किसी भी मुश्किल को अपनी ताकत बना सकता है। उनका सफलता का यह सफर हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।

उत्कर्ष का भविष्य

अब जबकि उत्कर्ष ने बीटेक में राष्ट्रपति स्वर्ण पदक हासिल किया है, उनका अगला लक्ष्य और भी ऊंचा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपनी पढ़ाई और काम में निरंतर सुधार करना है। वह चाहते हैं कि वह अपनी पेशेवर यात्रा में और भी बड़ा मुकाम हासिल करें और अपने देश की सेवा में अपना योगदान दें।
उत्कर्ष शुक्ला की कहानी यह साबित करती है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, यदि उस सपने को पूरा करने के लिए मेहनत और लगन से काम किया जाए। 

उनके संघर्ष और सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर प्रयास सही दिशा में हों, तो सफलता निश्चित रूप से मिलती हैं।
हम सबको इस प्रेरणादायक यात्रा से यह सिखने को मिलता है कि सफलता की राह हमेशा आसान नहीं होती, लेकिन अगर दिल में उद्देश्य हो और मेहनत करने का जज्बा हो, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।

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