India Hockey Teem: भारतीय हॉकी टीम की मजबूत 'दीवार' श्रीजेश ने लिया संन्यास; जानिए श्रीजेश की उपलब्धियों के बारें में

India Hockey Teem: भारतीय हॉकी टीम की मजबूत 'दीवार' श्रीजेश ने लिया संन्यास; जानिए श्रीजेश की उपलब्धियों के बारें में
Last Updated: 09 अगस्त 2024

भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी से सन्यास ले लिया हैं. टीम ने उन्हें जीत के साथ विदाई दी। श्रीजैश ने साल 2006 से भारतीय हॉकी टीम की गोलकीपर की जिम्मेदारी संभाली थी।

स्पोर्ट्स न्यूज़:  भारतीय मेंस हॉकी टीम ने 52 साल के लंबे अंतराल के बाद लगातार दो ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। पेरिस ओलंपिक 2024 में स्पेन को 2-1 से मात देकर भारत ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इससे पहले 1968 और 1972 ओलंपिक में यह कारनामा हुआ था। भारत की इस जीत में भारतीय टीम गोलकीपर पीआर श्रीजेश का बहुत महत्वपूर्ण रोल रहा है। अनुभवी गोलकीपर पी आर श्रीजेश पूरे टूर्नामेंट में चट्टान की तरह गोलपोस्ट पर खड़े रहे।

गोलकीपर श्रीजेश ने भारत के लिए कुल 335 मैच खेलें। इन 335 मैच में उन्होंने अपनी शरीर पर बुलेट की रफ्तार से आती हुई कई गेंदे खाईं, कभी दाएं-बाएं गिरे और कभी मुंह के बल। इसके बावजूद विपक्षी टीम इस दीवार वेदन नहीं कर पाई। टीम के अन्य खिलाडियों को भी हमेशा भरोसा रहता था कि श्रीजेश के होते हुए गेंद का गोलपोस्ट के पार जाना बहुत मुश्किल हैं।

साल 1988 में हुआ श्रीजेश का जन्म

श्रीजेश का जन्म 8 मई 1988 को केरल के एर्नाकुलम जिले के किझाक्कमबलम गांव में था. वह एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता का नाम पीवी रविंद्रन कुमार और माता का नाम उषा देवी है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा किझाक्कमबलम के सेंट एंटनी लोअर प्राइमरी स्कूल से की है। बता दें उन्होंने किझाक्कमबलम के सेंट जोसेफ हाई स्कूल में केवल छठी कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। बता दें पीआर श्रीजेश को साल 2015 में अर्जुन पुरस्कार और साल 2017 में पद्म श्री से सम्मान से भी नवाजा जा चूका हैं।

कैसे बने गोलकीपर?

श्रीजेश बचपन से ही फर्राटा धावक रहे है। इसके बाद उन्होंने लंबी कूद और वॉलीबॉल में अपने हाथ आजमाया। उन्होंने ने12 साल की उम्र में जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में दाखिला ले लिया। यहां पर उनके कोच ने उन्हें शुरुआत में ही गोलकीपिंग करने का सुझाव दिया। हॉकी कोच जयकुमार ने उन्हें स्कूल टीम में गोलकीपर चुना। इसके बाद पीआर श्रीजेश ने गोलकीपर बनना तय कर लिया। श्रीजैश ने करियर की शुरुआत 2004 में पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जूनियर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाकर की।साल 2008 के जूनियर एशिया कप में भारत की जीत के बाद, श्रीजेश को टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर के सम्मान से नवाजा  गया।

श्रीजेश को मिला FIH गोलकीपर ऑफ द ईयर पुरस्कार

बता दें श्रीजेश को FIH (हॉकी प्रो लीग) 2021-22 में भारत के तीसरे स्थान पर जगह बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए पीआर श्रीजेश को 2021 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया। बता दें श्रीजेश साल 2021 में वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी भी बन चुके हैं। उन्होंने लगातार FIH गोलकीपर ऑफ द ईयर पुरस्कार क्रमशः 2021 और 2022 में जीता था।

 

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