मुगल बादशाह औरंगजेब और आम के बीच एक अनोखा रिश्ता था। आम न केवल उनका पसंदीदा फल था, बल्कि उन्होंने इसकी कुछ विशेष किस्मों के संस्कृत नाम भी रखे थे। जानिए, औरंगजेब, सुधारस और रसना विलास के पीछे की दिलचस्प कहानी।
आम का शौकीन था औरंगजेब
मुगल शासकों की आम के प्रति दीवानगी जगजाहिर रही है। बाबर से लेकर शाहजहां तक, सभी ने आम को विशेष महत्व दिया। जब औरंगजेब दक्कन के गवर्नर बने, तो उन्होंने वहां आम के बागों की देखरेख के लिए खास आदेश जारी किए। उन्होंने अपने सिपाहियों से कहा कि आम के पेड़ों की सुरक्षा और देखभाल में कोई कमी न रहे। यहां तक कि जहां भी औरंगजेब रहते, वहां उनके लिए आम की विशेष व्यवस्था की जाती थी।
तोहफे में मिले दो अनोखे आम
इतिहासकारों के अनुसार, एक बार औरंगजेब के बेटे ने उन्हें दो नई किस्मों के आम तोहफे में भेजे। आमों के अद्भुत स्वाद और सुगंध से प्रभावित होकर, औरंगजेब ने खुद इन आमों के नाम संस्कृत में रखने का निर्णय लिया।
सुधारस और रसना विलास: नामकरण की दिलचस्प कहानी
औरंगजेब ने एक आम का नाम "सुधारस" और दूसरे का नाम "रसना विलास" रखा। संस्कृत में "सुधा" का अर्थ अमृत और "रस" का अर्थ स्वादिष्ट रस से होता है। यानी "सुधारस" नाम यह दर्शाता है कि यह आम अमृत के समान मीठा और रसीला है। दूसरी ओर, "रसना विलास" में "रसना" का अर्थ होता है स्वाद को महसूस करने वाली जीभ और "विलास" का अर्थ आनंद से है। यानी यह आम खाने वाले को स्वाद का आनंद प्रदान करता है।
संस्कृत में नामकरण से औरंगजेब की रुचि का संकेत
इतिहास में आमतौर पर यह माना जाता है कि औरंगजेब इस्लामी विचारधारा का कट्टर अनुयायी था। लेकिन इस घटना से यह भी साफ होता है कि वह संस्कृत भाषा से परिचित था और उसे भारतीय परंपराओं की अच्छी समझ थी।
मुगलों और आम का गहरा नाता
मुगलों के शासनकाल में आम की खेती को काफी बढ़ावा मिला। शाहजहां के दौर में बिहार और बंगाल में बड़े-बड़े आम के बाग लगाए गए और कई नई प्रजातियां विकसित की गईं। औरंगजेब के शासनकाल में भी बागवानी और कृषि को प्रोत्साहित किया गया, जिसमें आम का उत्पादन प्रमुख था।
इतिहासकारों के अनुसार, "अदब-ए-आलमगिरी" नामक ऐतिहासिक ग्रंथ में औरंगजेब और आम से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां दर्ज हैं।
आम न केवल भारतीय उपमहाद्वीप का पसंदीदा फल है, बल्कि इसका इतिहास भी बेहद रोचक रहा है। मुगल काल में इस फल को विशेष स्थान प्राप्त था। औरंगजेब द्वारा संस्कृत में आमों के नामकरण की यह घटना दर्शाती है कि भाषा और संस्कृति से उनका जुड़ाव किस हद तक था।
Disclaimer: यह लेख ऐतिहासिक संदर्भों और मान्यताओं पर आधारित है। इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि पाठक अपने विवेक से करें।