ब्राह्मण और सांप की दोस्ती - एक महत्वपूर्ण जीवन संदेश

ब्राह्मण और सांप की दोस्ती - एक महत्वपूर्ण जीवन संदेश
Last Updated: 2 दिन पहले

किसी छोटे से शहर में एक ब्राह्मण, हरिदत्त, अपनी मेहनत से फार्म चला रहा था। वह दिन-रात खेतों में काम करता, लेकिन फिर भी उसे फार्म से उम्मीद के मुताबिक उत्पादन नहीं मिल पा रहा था। यह उसके लिए चिंता का कारण बन गया था, क्योंकि उसने अपनी पूरी मेहनत फार्म के विकास में लगा दी थी। एक दिन, जब वह अपने खेतों में काम करते हुए थक चुका था, वह एक पेड़ के नीचे छांव में बैठ गया।

सांप से मुलाकात और एक नई सोच

वह जैसे ही छांव में आराम करने बैठा, उसकी नजर पेड़ के नीचे पड़े एक सांप पर पड़ी। सांप को देख कर ब्राह्मण को एक विचार आया कि शायद यही सांप उसके फार्म के नुकसान का कारण है। वह सोचने लगा कि अगर इस सांप को पूजना शुरू किया जाए तो शायद उसका उत्पादन बढ़ जाए।

ब्राह्मण ने तुरंत एक थाली में दूध रखा और सांप के सामने रख दिया। उसने सांप से कहा, “मुझे नहीं पता था कि आप मेरे फार्म के रखवाले हैं। मुझे माफ कर दें और यह भेंट स्वीकार करें।” ब्राह्मण का यह विश्वास सांप के साथ एक अनोखी दोस्ती की शुरुआत बन गया।

धन की बौछार और बढ़ते लालच के संकेत

अगले दिन, जब ब्राह्मण फार्म पर लौटा, तो उसने देखा कि थाली में एक सोने का सिक्का रखा हुआ है। ब्राह्मण ने इसे सांप का आशीर्वाद समझा और खुशी-खुशी इसे अपने पास रखा। इस तरह, कई दिन तक यह सिलसिला चलता रहा, और ब्राह्मण अमीर हो गया।

कुछ समय बाद, ब्राह्मण ने अपने बेटे को सांप की पूजा करने और दूध पिलाने की जिम्मेदारी सौंप दी, जब वह दूसरे गांव चला गया। बेटा भी पिता की बात मानते हुए सांप को दूध पिलाने लगा। एक दिन उसे भी सोने का सिक्का मिला। बेटे के मन में लालच आ गया और उसने सोचा कि अगर एक सिक्का रोज मिलता है, तो क्यों न उसे और सिक्के मिलें।

लालच की भारी कीमत

अगले दिन, बेटे ने सांप को मारने की योजना बनाई। जैसे ही सांप आया, बेटे ने उस पर लाठी से वार किया। हालांकि सांप मरा नहीं, लेकिन वह गुस्से में था और उसने बेटे को डस लिया। सांप के जहर से बेटे की मृत्यु हो गई।

जब ब्राह्मण घर लौटा और उसे बेटे की मृत्यु के बारे में बताया गया, तो वह दुखी हो गया, लेकिन उसने सांप का बचाव किया। ब्राह्मण ने सोचा कि सांप ने सिर्फ अपनी रक्षा की थी, क्योंकि बेटे ने लालच में आकर उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।

सांप का कड़ा संदेश और ब्राह्मण की जागरूकता

अगले दिन, ब्राह्मण सांप के पास गया और दूध की थाली रख दी। सांप ने ब्राह्मण को देखा और कहा, “तुम मेरे बेटे की मृत्यु को भूल गए, लेकिन तुम फिर से सोने का सिक्का लेने आए हो। तुम्हारे बेटे की मौत उसकी नादानी थी। मैं तुमसे अब कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता।”

सांप ने ब्राह्मण को एक हीरा दिया और कहा, “प्यार कभी लालच में नहीं मिल सकता। यह रिश्ता अब खत्म हो चुका है।” ब्राह्मण ने यह समझ लिया कि लालच इंसान को बहुत कुछ छीन सकता है और उसे फिर कभी सांप के पास जाने का मन बना लिया।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि

 लालच इंसान के जीवन में विनाश लाता है। जब तक हम अपनी इच्छाओं और लालच पर काबू नहीं पाते, तब तक हम अपने अपनों को खो सकते हैं। ब्राह्मण की तरह हमें समझना चाहिए कि सच्चा प्यार कभी भी लालच में नहीं मिलता और हमें अपनी नादानियों से सीखना चाहिए।

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