जंगल में एक चिंटू नाम का बंदर रहता था। उसकी शरारतों से जंगल के सारे जानवर परेशान रहते थे। वह बहुत नटखट और चालाक था, जो अपनी हर शरारत को आसानी से बचकर निकल जाता था। कभी पेड़ों से फल गिराना, तो कभी जानवरों का मजाक उड़ाना, और हर बार जब उसकी चालाकी का खुलासा होता, तो वह शरारत पर हंसता और दूसरों को परेशान कर चला जाता। लेकिन इस बार उसकी शरारत उसके लिए भारी पड़ने वाली थी।
चिंटू की शरारत
यह कहानी एक सर्दी की सुबह की है, जब चिंटू बंदर ने जंगल के तालाब के किनारे पर रहने वाली बत्तखों से शरारत करने का मन बनाया। उसने पहले पेड़ से गोंद इकट्ठा किया और फिर उस गोंद को तालाब के पास के एक पत्थर पर चिपकाया। वह यह जानता था कि बत्तखें रोज़ सुबह तालाब में नहाने आती हैं और उस पत्थर पर बैठती हैं। इस बार वह चाहता था कि बत्तखें इस चिपचिपे पत्थर पर फंस जाएं और फिर वह अपनी शरारत पर हंसी मजाक कर सके।
बत्तखों का गुस्सा और मुर्गों की मदद
जैसा कि उसने सोचा था, बत्तखें सुबह तालाब की ओर आईं और पत्थर पर बैठ गईं। थोड़ी देर बाद जब वे तैरने के लिए उठीं, तो वे महसूस करने लगीं कि उनका शरीर पत्थर से चिपक गया है। बत्तखें घबराकर शोर मचाने लगीं और अपनी पंखों से फड़फड़ाने लगीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। चिंटू बंदर पेड़ से उतरकर बत्तखों का मजाक उड़ा रहा था और खुश हो रहा था। लेकिन बत्तखों को गुस्सा आ गया। वे चाहती थीं कि किसी तरह से उन्हें इस मुश्किल से निकाला जाए। तभी मुर्गों का झुंड पानी पीने के लिए तालाब के पास आया। बत्तखों ने मुर्गों को अपनी परेशानी बताई और मुर्गों ने गोंद पर पानी डालकर उसे ढीला किया, जिससे बत्तखें आराम से मुक्त हो गईं। बत्तखों ने मुर्गों का धन्यवाद किया और फिर से तालाब में तैरने लगीं।
बत्तख मोनी की योजना
लेकिन बत्तखों में से एक बत्तख जिसका नाम मोनी था, उसने चिंटू बंदर को सजा देने का मन बना लिया था। मोनी समझ गई थी कि बंदर ने शरारत की और अब उसे सजा मिलनी चाहिए। उसने इस बारे में योजना बनाई और तय किया कि अगले दिन उसे सिखाना पड़ेगा कि शरारत की सजा क्या होती है।
चिंटू की गलती और सजा
अगली सुबह, चिंटू बंदर तालाब में नहाने गया। वह नींद में था और आंखें मलते हुए तालाब के किनारे बैठा था। अचानक, उसने महसूस किया कि उसकी पूंछ कुछ फंसी हुई है। जब उसने अपनी पूंछ हिलाई तो उसे यह एहसास हुआ कि वह जाल में फंस चुका था। चिंटू ने जितना खुद को छुड़ाने की कोशिश की, उसकी हालत और बुरी होती गई। वह समझ चुका था कि यह वही सजा है, जिसकी उसे उम्मीद थी।
उसे अब यह समझ में आ चुका था कि जंगल के अन्य जानवरों को परेशान करने और शरारत करने का क्या परिणाम हो सकता है। तभी वह आवाजें सुनता है और देखता है कि बत्तख और एक बहेलिया उसकी ओर देख रहे हैं।
बहेलिए का तंग करना
बहेलिया धीरे-धीरे पास आया और चिंटू बंदर को पकड़कर शहर में ले गया, जहां उसे मदारी के पास बेच दिया गया। मदारी ने उसे मार-मार कर नाचने के लिए सिखाया। अब चिंटू को एहसास हुआ कि उसकी शरारतों के कारण वह गुलामी की जिंदगी जीने पर मजबूर हो गया है। अगर वह शरारत नहीं करता, तो उसे ये दिन नहीं देखने पड़ते।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि
शरारत और दूसरों को परेशान करना कभी भी सही नहीं होता। जो इंसान दूसरों को दुखी करता है, वह खुद भी एक दिन दुखी होता है। इसलिए हमें हमेशा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और अपनी चालाकियों का सही इस्तेमाल करना चाहिए।