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कहानी - झूठ की कीमत

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गांव के छोटे से स्कूल की अध्यापिका सुनैना जब रोज़ की तरह अपनी कक्षा में पहुंची, तो वहां अजीब सन्नाटा पसरा हुआ था। न कोई बच्चा दिखा, न ही पढ़ाई की हलचल। यह देखकर सुनैना हैरान रह गई। आखिर बच्चे गए कहां? गेट से बाहर निकलते ही उसे स्कूल का चपरासी रामप्रसाद मिला। उसने बताया कि सभी बच्चों को यह खबर मिली थी कि सुनैना मैडम बीमार हैं, इसलिए स्कूल बंद कर दिया गया। सुनैना यह सुनकर क्रोधित हो उठी—"किसने कहा कि मैं बीमार हूं?"रामप्रसाद घबराते हुए बोला, "मैडम, यह तो वरुण ने कहा था।"

वरुण की झूठ बोलने की आदत

वरुण को झूठ बोलने में मज़ा आता था। कभी वह कहता कि उसकी मां उससे बहुत काम करवाती हैं, कभी कहता कि उसके पिता उसे पीटते हैं। लेकिन इस बार उसने जो झूठ बोला था, वह पूरे स्कूल को प्रभावित कर गया। सुनैना सीधी वरुण के घर पहुंची और उसकी मां सुनीता से बोली, "आपका बेटा बहुत बड़ा झूठा है। इसने मेरी बीमारी की अफवाह फैलाकर स्कूल ही बंद करवा दिया।"

जब वरुण को इस झूठ का पता चला, तो वह डरकर पिछले दरवाजे से भाग निकला। उसके माता-पिता अगले दिन उसे लेकर स्कूल पहुंचे और हाथ जोड़कर बोले, "मैडम, इसे स्कूल से मत निकालिए। हम वादा करते हैं कि अब यह कभी झूठ नहीं बोलेगा।" सुनैना ने उसे एक और मौका दिया, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि अगली बार झूठ बोलने पर उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।

जब झूठ बना हकीकत

वरुण को झूठ बोलने की आदत थी। वह लोगों को परेशान करने में मज़ा लेता था। एक दिन, वह आसमान में टूटते तारे को देखकर मन ही मन बोला, "काश! मेरा झूठ कभी पकड़ा न जाए और जो मैं कहूं, वह सच हो जाए!" अगली सुबह, उसकी मां ने उसे नहाने के लिए कहा, तो वह हंसते हुए बोला, "मां, गांव का कुआं सूख गया है, उसमें अब पानी नहीं है।"

सुनीता यह सुनकर घबरा गईं। कुछ ही देर में पूरे गांव में यह खबर फैल गई और सभी लोग कुएं के पास जमा हो गए। लेकिन जब वरुण स्कूल पहुंचा और प्यास लगने पर पानी पीने गया, तो देखा कि सारे घड़े खाली थे। "रामप्रसाद जी, घड़े खाली क्यों हैं?" रामप्रसाद बोला, "बेटा, गांव का कुआं सच में सूख गया है!"
यह सुनकर वरुण के होश उड़ गए। वह भागकर कुएं के पास पहुंचा। कुआं सच में सूख चुका था! उसकी मां सुनीता ने कहा, "मूर्ख! तेरे झूठ की वजह से पूरा गांव प्यासा मर जाएगा!" अब वरुण को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह भगवान से रो-रोकर प्रार्थना करने लगा—"भगवान, मेरे झूठ को झूठ बना दो। मैं अब कभी झूठ नहीं बोलूंगा।"

झूठ का श्राप टूटा

तभी आसमान में एक और तारा टूटा। अचानक कुएं से पानी की आवाज़ आने लगी। देखते ही देखते कुएं में पानी भरने लगा। गांव वाले दौड़कर वहां पहुंचे और खुशी से झूम उठे। वरुण ने सबके सामने सिर झुकाकर कहा, "अब से मैं हमेशा सच बोलूंगा!"  उस दिन के बाद से गांव में कोई झूठ नहीं बोलता था, और वरुण ने अपनी जिंदगी सच्चाई के रास्ते पर बिता दी।

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