AI का कमाल: सुप्रीम कोर्ट के 42,500 जजमेंट अब आपकी भाषा में उपलब्ध

AI का कमाल: सुप्रीम कोर्ट के 42,500 जजमेंट अब आपकी भाषा में उपलब्ध
Last Updated: 1 दिन पहले

सुप्रीम कोर्ट में तकनीकी बदलावों की झलक साफ तौर पर देखने को मिल रही है। अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन भी शुरू हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से सुप्रीम कोर्ट के 42,500 फैसलों को भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही केस इंफॉर्मेशन सिस्टम (CIS) के तहत रोजमर्रा की कार्यवाही भी दर्ज की जाती है। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया को जनता के लिए और भी अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाएगा।

Supreme Court Judgement in Hindi

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव से कानूनी क्षेत्र में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के 36,324 फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया गया है, जबकि 42,765 फैसलों का 17 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। ये फैसले अब e-SCR पोर्टल पर उपलब्ध होंगे। शुक्रवार को लोकसभा में कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), अर्जुन राम मेघवाल ने इस महत्वपूर्ण कदम की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च न्यायालयों की एआई ट्रांसलेशन कमेटी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों के लोकल भाषाओं में अनुवाद की प्रक्रिया की निगरानी कर रही है। इस पहल से न्यायिक फैसलों को और अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाया जाएगा।

लीगल सेक्टर में AI का इस्तेमाल

कानूनी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग पर रोशनी डालते हुए कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि AI का उपयोग अब लीगल रिसर्च, ट्रांसलेशन, प्रेडिक्शन और फोरकास्टिंग जैसे अहम कार्यों में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि AI से प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP), ऑटोमैटिक फाइलिंग, इंटेलिजेंट शेड्यूलिंग, और केस इंफॉर्मेशन सिस्टम के सुधार में मदद मिल रही है। इसके अलावा, वादियों से संवाद स्थापित करने के लिए चैटबॉट्स का भी इस्तेमाल हो रहा है। इन प्रयासों से न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक सटीक और सुगम बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।

-कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत स्मार्ट सिस्टम का विकास

कानूनी क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सरकार ने -कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे चरण की शुरुआत की है। इस चरण के तहत, एक 'स्मार्ट' सिस्टम बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है, जिसमें आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने और डेटा एंट्री फाइल्स की स्क्रूटनी को न्यूनतम करने की कोशिश की जा रही है।

राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि इस स्मार्ट सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इससे -कोर्ट सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन की कार्यक्षमता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

साथ ही, मंत्री ने यह भी बताया कि अब तक 17 उच्च न्यायालयों ने अपनी वेबसाइट्स पर -हाईकोर्ट रिपोर्ट (e-HCR) और -इंडियन लॉ रिपोर्ट (e-ILR) उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थानीय भाषाओं में फैसलों की ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित करता है, जिससे न्याय की पहुंच और अधिक सुलभ हो रही है

डेटा प्राइवेसी के लिए बनी सब-कमेटी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते उपयोग के साथ ही डेटा प्राइवेसी को लेकर बढ़ रही चिंताओं के समाधान के लिए विभिन्न हाईकोर्ट के छह जजों की एक सब-कमेटी गठित की गई है। यह सब-कमेटी एक टेक्निकल वर्किंग ग्रुप के सहयोग से डेटा प्रोटेक्शन के उपायों की सिफारिश करेगी।

सब-कमेटी का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के "राइट टू प्राइवेसी" की रक्षा करना है। इसके लिए डेटा सुरक्षा, कनेक्टिविटी, और ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म को मजबूत करने के कदम उठाए जाएंगे। यह पहल सुप्रीम कोर्ट की -कमेटी के अध्यक्ष द्वारा शुरू की गई है।

राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि तकनीकी क्षेत्र में हो रहे बदलावों के बीच, केस इंफॉर्मेशन सिस्टम (CIS) के तहत हर दिन की कार्यवाही को दर्ज किया जाता है, और यह जानकारी वादियों को विभिन्न -कोर्ट प्लेटफॉर्म्स जैसे वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए उपलब्ध कराई जाती है। इसके साथ ही, अदालतों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए मॉडल नियम बनाए गए हैं।

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