यूक्रेन AI मॉडल: ट्रेनिंग के लिए जुटाई 20 लाख घंटे की वीडियो फुटेज, युद्ध में होगा इस्तेमाल

यूक्रेन AI मॉडल: ट्रेनिंग के लिए जुटाई 20 लाख घंटे की वीडियो फुटेज, युद्ध में होगा इस्तेमाल
Last Updated: 1 दिन पहले

यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। यूक्रेन ने 20 लाख घंटे की ड्रोन फुटेज से अपने AI मॉडल को प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू किया है, ताकि युद्ध के मैदान में समय पर और सटीक निर्णय लिए जा सकें।

इस दौरान रूस भी स्ट्राइक ड्रोन का उपयोग कर युद्ध भूमि पर ठिकानों को निशाना बना रहा है। दोनों देशों द्वारा AI जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल इस युद्ध को एक नया आयाम दे रहा है, जो अब तक के सभी संघर्षों से बिल्कुल अलग है। इस तकनीकी विकास से यह भी स्पष्ट होता है कि यह युद्ध संभवत: पहला ऐसा युद्ध है, जिसमें दोनों पक्ष निगरानी, लक्ष्य निर्धारण और हमले के लिए AI का उपयोग कर रहे हैं।

यूक्रेन ने जुटाया 20 लाख घंटों का डाटा

यूक्रेनी डिजिटल सिस्टम OCHI के संस्थापक अलेक्जेंडर दिमित्रिव ने खुलासा किया है कि 15,000 ड्रोन क्रू ने युद्ध के मोर्चे पर 20 लाख घंटे की युद्ध संबंधित फुटेज एकत्रित की है। इन फुटेज का इस्तेमाल AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाएगा, जिससे युद्ध की रणनीतियों को और भी अधिक सटीक बनाया जा सके। दिमित्रिव के अनुसार, "अगर आप AI को 20 लाख घंटों की वीडियो दिखाएंगे तो यह सुपरनैचुरल बन जाएगा।"

इन फुटेज का उपयोग AI को युद्ध के तरीकों, ठिकानों का पता लगाने और हथियारों के प्रभाव का विश्लेषण करने में किया जा रहा है। AI यह भी सीख रही है कि किस हथियार को किस एंगल और ऊंचाई से छोड़ा जाए ताकि हमला अधिक प्रभावी हो।

यूक्रेन का "एवेंजर्स" नामक एक और प्रमुख सिस्टम है, जो ड्रोन और CCTVs से फुटेज एकत्र करता है। AI की मदद से, इस सिस्टम ने केवल एक हफ्ते में रूस के 12,000 उपकरणों का पता लगाया। यूक्रेन अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए हजारों ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है, और कंपनियां ऐसे सिस्टम बना रही हैं, जिनमें एक ही कंप्यूटर से कई ड्रोन को नियंत्रित किया जा सकता है।

रूस भी इस मामले में पीछे नहीं

रूस भी AI तकनीक के इस्तेमाल में पीछे नहीं है। उसने अपने स्ट्राइक ड्रोन का उपयोग कर यूक्रेन के ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से यूक्रेन के बख्तरबंद वाहनों के खिलाफ ये ड्रोन बेहद प्रभावी साबित हो रहे हैं। इन ड्रोन के जरिए रूस ने युद्ध के मैदान में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया है और उसे महत्वपूर्ण सफलता मिल रही है।

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