वैज्ञानिकों ने AI आधारित तकनीक की विकसित, जिससे केवल आवाज के विश्लेषण से लगाया जा सकेगा डायबिटीज का पता, जानें यह कैसे करेगी कमाल

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने एक बार फिर अपनी ताकत साबित कर दी है! अब सिर्फ 25 सेकंड की आवाज रिकॉर्डिंग से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को टाइप-2 डायबिटीज है या नहीं। लक्समबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने इस नई खोज में दावा किया है कि डायबिटीज से प्रभावित लोगों की आवाज में एक खास बदलाव आता है, जिसे ‘वॉइस सिग्नेचर’ कहा जाता है।

कैसे काम करता है AI एल्गोरिदम?

शोधकर्ताओं ने एक खास AI एल्गोरिदम तैयार किया है, जो आवाज में होने वाले सूक्ष्म बदलावों को पहचानने में सक्षम है। टाइप-2 डायबिटीज फेफड़ों, मसल्स और नर्व्स को प्रभावित करती है, जिससे व्यक्ति की आवाज में हल्की खराश, तनाव और वॉवेल साउंड (जैसे ‘आह’) में बदलाव आ सकता है। इस एल्गोरिदम को 607 लोगों की आवाज रिकॉर्डिंग पर टेस्ट किया गया, जहां प्रतिभागियों से 30 सेकंड तक एक विशेष टेक्स्ट पढ़वाया गया।

AI की सटीकता कितनी है?

शोध के नतीजों के मुताबिक, यह AI एल्गोरिदम 71% पुरुषों और 66% महिलाओं में टाइप-2 डायबिटीज की पहचान सही तरीके से करने में सक्षम था। यह शोध PLOS Digital Health जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

आवाज से डायबिटीज की पहचान क्यों संभव है?

डॉ. गाइ फेगराजी, जो लक्समबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रिसीजन हेल्थ के डायरेक्टर हैं, बताते हैं कि टाइप-2 डायबिटीज फेफड़ों के काम करने के तरीके को प्रभावित करती है। जब हम बोलते हैं, तो हवा वॉयस बॉक्स से गुजरती है और वाइब्रेशन से आवाज उत्पन्न होती है। इस प्रक्रिया में गर्दन और गले की छोटी-छोटी मसल्स काम करती हैं, जो डायबिटीज से प्रभावित हो सकती हैं। इसी कारण डायबिटीज से पीड़ित लोगों की आवाज में बदलाव आ जाता है।

डायबिटीज के अलावा अन्य बीमारियों की भी पहचान करेगा AI

यह तकनीक सिर्फ डायबिटीज तक सीमित नहीं है। वैज्ञानिक अब मेंटल हेल्थ और पार्किंसन जैसी बीमारियों की पहचान के लिए भी AI का इस्तेमाल कर रहे हैं।

डिप्रेशन: पीड़ित व्यक्ति की आवाज में कम एनर्जी, धीमी गति और मोनोटोन (एकरूपता) पाई जाती है।
पार्किंसन: इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान में भी AI काफी सटीक साबित हुआ है।

भविष्य में घर बैठे होगी डायबिटीज की जांच

शोधकर्ताओं का मानना है कि आने वाले समय में लोग अपने स्मार्टफोन या स्मार्ट डिवाइस के जरिए घर बैठे ही इस तकनीक की मदद से डायबिटीज की पहचान कर सकेंगे और समय रहते इलाज शुरू कर पाएंगे। AI की यह खोज भविष्य में हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकती है।

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