Elon Musk की Starlink ने शुरू की सैटेलाइट सेल सर्विस की टेस्टिंग, नेटवर्क के बिना होगी कॉलिंग

Elon Musk की Starlink ने शुरू की सैटेलाइट सेल सर्विस की टेस्टिंग, नेटवर्क के बिना होगी कॉलिंग
Last Updated: 17 दिसंबर 2024

एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर Starlink ने अपनी सैटेलाइट सेल सर्विस की टेस्टिंग शुरू कर दी है। इस नई सर्विस के लॉन्च के बाद, यूजर्स को सिम कार्ड की जरूरत नहीं होगी और वे बिना सिम के ही कॉलिंग और इंटरनेट का लाभ उठा सकेंगे। टेस्टिंग के बाद यह सर्विस पूरी तरह से उपलब्ध होगी।

एलन मस्क स्टारलिंक सैटेलाइट सेल सर्विस

Elon Musk की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी Starlink भारत में अपनी ब्रॉडबैंड सेवा लॉन्च करने की तैयारी में है। फिलहाल, कंपनी TRAI से अनुमोदन और स्पेक्ट्रम अलोकेशन का इंतजार कर रही है। इस दौरान, Starlink अपनी सैटेलाइट सेल सर्विस की टेस्टिंग भी कर रहा है, जिसके लिए उसने अमेरिकी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर T-Mobile के साथ साझेदारी की है। टेस्टिंग पूरी होने के बाद, Starlink भारत में ब्रॉडबैंड और सैटेलाइट कॉलिंग सेवा दोनों को पेश कर सकता है।

FCC ने दिया अप्रूवल

Elon Musk की Starlink और T-Mobile को अमेरिकी टेलीकॉम सर्विस के लिए FCC से मंजूरी मिल गई है। इसके बाद, कंपनी ने अपनी डारेक्ट-टू-सेल सैटेलाइट कॉलिंग सर्विस के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। जो यूजर्स इस सर्विस का परीक्षण करना चाहते हैं, वे रजिस्टर कर सकते हैं। 2025 में इस सर्विस का पहला बीटा टेस्ट शुरू होगा, जो मुख्य रूप से टेक्स्ट मैसेजिंग पर फोकस करेगा। इसके बाद वॉइस और डेटा कनेक्टिविटी का परीक्षण किया जाएगा। बीटा टेस्ट के लिए सीमित स्पॉट उपलब्ध हैं, और रजिस्टर करने वाले व्यक्तियों और एजेंसियों में से चयन किया जाएगा।

बिना मोबाइल टावर के मिलेगी कनेक्टिविटी

Elon Musk की Starlink सैटेलाइट सेवा अब अमेरिका में 5 लाख स्क्वायर मील तक कवरेज प्रदान करने की योजना बना रही है। यह नई सर्विस बिना किसी पारंपरिक मोबाइल टावर के काम करेगी। यूजर्स अपने स्मार्टफोन के जरिए सीधे सैटेलाइट से कम्युनिकेशन कर सकेंगे, बिना सिम कार्ड या मोबाइल नेटवर्क की आवश्यकता के।

Starlink की सैटेलाइट-टू-सेल सर्विस T-Mobile के मौजूदा नेटवर्क के साथ इंटिग्रेट की जाएगी, जिससे यूजर्स को नियमित सेल्युलर सेवा के साथ सैटेलाइट सेवा का भी लाभ मिलेगा। यह विशेष रूप से उन दूरदराज क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगा, जहां पारंपरिक मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पाते। इस सर्विस की बीटा टेस्टिंग के बाद इसे कमर्शियली लॉन्च किया जा सकता है, और टेस्टिंग सफल होने के बाद इसे अन्य देशों में भी पेश किया जा सकता है।

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