Pune

25 जुलाई को 10 राष्ट्रपतियों ने ली शपथ: 1977 में नीलम संजीव रेड्डी से शुरू होकर द्रौपदी मुर्मू तक का सफर

25 जुलाई को 10 राष्ट्रपतियों ने ली शपथ: 1977 में नीलम संजीव रेड्डी से शुरू होकर द्रौपदी मुर्मू तक का सफर

25 जुलाई भारत में राष्ट्रपति शपथ ग्रहण की स्थायी परंपरा बन चुकी है, जिसकी शुरुआत 1977 में नीलम संजीव रेड्डी से हुई थी। तब से 10 राष्ट्रपति इसी दिन शपथ ले चुके हैं। यह तिथि संवैधानिक निरंतरता और लोकतांत्रिक परंपरा का प्रतीक बन गई है।

राष्ट्रपति: भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तिथियां केवल कैलेंडर के पन्ने नहीं होतीं, बल्कि वे इतिहास के महत्वपूर्ण अध्यायों की निशानी बन जाती हैं। 25 जुलाई एक ऐसी ही तारीख है जिसने भारतीय गणराज्य के राष्ट्रपति पद के इतिहास में खास स्थान बना लिया है। यह महज एक तारीख नहीं, बल्कि राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर गरिमा, परंपरा और संविधान की शपथ लेने वाले व्यक्तित्वों की श्रृंखला का प्रतीक बन गई है।

25 जुलाई से क्यों शुरू हुआ यह सिलसिला?

भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। इससे पहले शपथ ग्रहण की तिथियां अलग-अलग रही थीं, जैसे डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 13 मई 1952 को, डॉ. राधाकृष्णन ने 13 मई 1962 को और जाकिर हुसैन ने 13 मई 1967 को शपथ ली थी। लेकिन 1977 में जब आपातकाल के बाद जनता पार्टी सत्ता में आई, तो एक नई परंपरा की नींव रखी गई—राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई को होगा। तब से अब तक हर राष्ट्रपति इसी दिन शपथ लेते आए हैं, जिससे यह दिन ऐतिहासिक बन चुका है।

कौन-कौन राष्ट्रपति शपथ ले चुके हैं 25 जुलाई को?

25 जुलाई भारत के संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख बन चुकी है, क्योंकि इस दिन अब तक दस राष्ट्रपतियों ने देश के सर्वोच्च पद की शपथ ली है। इस परंपरा की शुरुआत 1977 में नीलम संजीव रेड्डी से हुई थी, जिनके बाद ज्ञानी जैल सिंह (1982), रामास्वामी वेंकटरमण (1987), शंकर दयाल शर्मा (1992), के.आर. नारायणन (1997), डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (2002), प्रतिभा पाटिल (2007), प्रणब मुखर्जी (2012), रामनाथ कोविंद (2017) और अंत में द्रौपदी मुर्मू (2022) ने इसी दिन राष्ट्रपति पद की शपथ ली। यह परंपरा भारत के लोकतांत्रिक अनुशासन और संवैधानिक निरंतरता का प्रतीक मानी जाती है।

क्यों चुनी गई 25 जुलाई?

संविधान में राष्ट्रपति पद की शपथ की कोई निश्चित तिथि नहीं है, लेकिन 1977 के बाद राष्ट्रपति चुनाव और कार्यकाल की योजना इस तरह बनाई गई कि निवर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होता है और नया राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेता है। यह एक प्रशासनिक निरंतरता और प्रतीकात्मक स्थिरता का संकेत भी है।

इससे पहले कौन-कौन सी तारीखें रही थीं खास?

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को पहली बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, क्योंकि उस दिन भारत गणराज्य बना था। लेकिन 1952 में पहले आम चुनावों के बाद उन्होंने 13 मई को दुबारा शपथ ली। इसके बाद तीन अन्य राष्ट्रपतियों — डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962), डॉ. जाकिर हुसैन (1967) और वी.वी. गिरी (1969) — ने भी 13 मई को ही शपथ ली थी। इसके अतिरिक्त 24 अगस्त भी एक महत्वपूर्ण तारीख रही है। इस दिन वीवी गिरी (1969) और फखरुद्दीन अली अहमद (1974) ने भी शपथ ली थी।

कार्यकाल के दौरान निधन और कार्यवाहक राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति पद का इतिहास कुछ विषादपूर्ण क्षणों का भी साक्षी रहा है। डॉ. जाकिर हुसैन (1969) और फखरुद्दीन अली अहमद (1977) ऐसे दो राष्ट्रपति रहे जिनका निधन कार्यकाल के दौरान हुआ। इन घटनाओं के बाद देश ने कार्यवाहक राष्ट्रपति की व्यवस्था का भी अनुभव किया।

  • वीवी गिरी ने 3 मई 1969 को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
  • जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्ला ने 20 जुलाई 1969 को कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला।
  • बीडी जत्ती ने 11 फरवरी 1977 को फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति की शपथ ली।

क्या 25 जुलाई आगे भी बनी रहेगी परंपरा?

अब जबकि यह परंपरा करीब 48 वर्षों से बनी हुई है, यह कहना उचित होगा कि 25 जुलाई राष्ट्रपति शपथ का अनौपचारिक लेकिन स्थापित दिन बन गया है। भारत में लोकतंत्र की निरंतरता और संवैधानिक प्रक्रिया की सुसंगतता का यह एक सुंदर उदाहरण है।

Leave a comment