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5 साल की उम्र तक चल नहीं सकते थे, 100 में बने वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, जानें फौजा सिंह की प्रेरणादायक जीवन कहानी

5 साल की उम्र तक चल नहीं सकते थे, 100 में बने वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, जानें फौजा सिंह की प्रेरणादायक जीवन कहानी

फौजा सिंह, जो 5 साल की उम्र तक चल नहीं सकते थे, उन्होंने 89 की उम्र में लंदन मैराथन पूरी की और 100 की उम्र में एक दिन में आठ विश्व रिकॉर्ड बनाए।

Fauja Singh: फौजा सिंह का जन्म भारत के पंजाब राज्य में हुआ था। उनका बचपन बेहद संघर्षपूर्ण रहा। पांच साल की उम्र तक वे ठीक से चल भी नहीं सकते थे। उनके पैर इतने पतले और कमजोर थे कि लोग कहते थे ये बच्चा कभी सामान्य जीवन नहीं जी पाएगा। लेकिन फौजा सिंह ने जिंदगी को नई दिशा देने की ठान ली थी।

इंग्लैंड की ओर रुख और जीवन में नया मोड़

वर्ष 1992 में फौजा सिंह इंग्लैंड चले गए। जालंधर में अपनी पत्नी ज्ञान कौर के निधन के बाद वे अपने बेटे कुलदीप सिंह के साथ पूर्वी लंदन में रहने लगे। हालांकि, उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा झटका साल 1994 में लगा, जब उनके बेटे की मृत्यु हो गई। बेटे के निधन के बाद वे पूरी तरह टूट गए थे। लेकिन इसी गहरे दुख के समय उन्होंने खुद को संभालने के लिए टहलना शुरू किया। यही छोटा कदम उनकी नई जिंदगी की शुरुआत बन गया।

89 साल की उम्र में पहली मैराथन

फौजा सिंह की मेहनत और समर्पण रंग लाया। उन्होंने वर्ष 2000 में लंदन मैराथन में हिस्सा लिया और 89 साल की उम्र में पूरी मैराथन (42.195 किलोमीटर) को 6 घंटे 54 मिनट में पूरा किया। इस उपलब्धि ने उन्हें दुनिया भर में मशहूर कर दिया। उस समय वे 90 साल से अधिक आयु वर्ग में पिछला विश्व रिकॉर्ड तोड़ने से सिर्फ 58 मिनट पीछे रह गए थे।

टोरंटो में रचा इतिहास

वर्ष 2003 में फौजा सिंह ने टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन में 5 घंटे 40 मिनट का समय लेकर '90 से अधिक' आयु वर्ग में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह उपलब्धि एक प्रेरणा बन गई, खासकर उनके जैसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए जो उम्र के बढ़ने के साथ खुद को सीमित मानने लगते हैं।

एक दिन में बनाए आठ वर्ल्ड रिकॉर्ड

साल 2011 में, जब फौजा सिंह 100 वर्ष के हो चुके थे, उन्होंने टोरंटो के बिर्चमाउंट स्टेडियम में आयोजित ओंटारियो मास्टर्स एसोसिएशन मीट में एक ही दिन में आठ विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किए। उन्होंने अलग-अलग दूरी की रेस में भाग लेकर 100 वर्ष की उम्र में वो कर दिखाया जो दुनिया में कोई दूसरा नहीं कर सका था।

ओलंपिक मशाल धावक और अंतिम दौड़

वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक के लिए फौजा सिंह को टॉर्च बियरर के रूप में चुना गया। इसी साल उन्होंने हांगकांग में अपनी अंतिम लंबी दूरी की प्रतिस्पर्धी दौड़ पूरी की। उस दौड़ में उन्होंने 10 किलोमीटर की दूरी 1 घंटे 32 मिनट 28 सेकेंड में पूरी की। यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं थी, क्योंकि उस वक्त उनकी उम्र 101 वर्ष थी।

युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत

अपने रनिंग करियर के दौरान और उसके बाद भी, फौजा सिंह हमेशा युवाओं को प्रेरित करते रहे। जब भी जालंधर में मैराथन का आयोजन होता था, वे जरूर उपस्थित रहते और युवाओं को फिट रहने और अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करते थे। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर जज्बा हो, तो उम्र कभी भी मंजिल पाने में बाधा नहीं बन सकती।

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