रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बाद एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य केवल अपने समूह का कारोबार बढ़ाना नहीं है, बल्कि भारत और दुनिया के लिए नई संभावनाएं और अवसर उत्पन्न करना भी है।
भारत के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर समूहों में से एक, अडानी समूह ने देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देने के लिए आगामी पांच वर्षों का मास्टर प्लान पेश किया है। समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने मंगलवार को घोषणा की कि वे हर साल 15 से 20 अरब डॉलर (लगभग 1.25 से 1.7 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करेंगे। इस हिसाब से समूह का कुल पूंजीगत व्यय करीब 15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह योजना न केवल अडानी समूह के विस्तार का रोडमैप है, बल्कि भारत की बुनियादी ढांचा वृद्धि को भी नई रफ्तार देने का संकल्प है।
देश को भविष्य के लिए तैयार करने की सोच
गौतम अडानी ने अपनी वार्षिक आम बैठक में कहा कि उनका उद्देश्य केवल व्यावसायिक लाभ अर्जित करना नहीं है, बल्कि भविष्य की संभावनाएं खोजना और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है। उन्होंने बताया कि अडानी समूह का फोकस बंदरगाह, हवाई अड्डे, अक्षय ऊर्जा, डेटा सेंटर, सीमेंट, गैस और पावर सेक्टर में मजबूत पकड़ बनाकर इकोनॉमी को मजबूती देना है।
उन्होंने कहा कि इन सेक्टरों में निवेश करके न सिर्फ कंपनी के पोर्टफोलियो को बढ़ाया जाएगा, बल्कि लाखों लोगों के लिए रोजगार और विकास के नए अवसर भी उत्पन्न किए जाएंगे।
15 लाख करोड़ का निवेश: कहां होगा फोकस
अडानी समूह ने जिन क्षेत्रों में पूंजी निवेश की योजना बनाई है, वे भारत के भविष्य से सीधे जुड़े हैं
- नवीकरणीय ऊर्जा: भारत को ग्रीन एनर्जी की दिशा में आगे ले जाने के लिए अडानी ग्रीन एनर्जी बड़े स्तर पर सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में निवेश करेगी।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर: नए पोर्ट्स, लॉजिस्टिक्स हब और ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पर ध्यान रहेगा।
- एयरपोर्ट्स: देश के प्रमुख हवाई अड्डों के संचालन और विस्तार पर निवेश जारी रहेगा।
- डेटा सेंटर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: तेजी से बढ़ती डिजिटल जरूरतों के मद्देनजर आधुनिक डेटा सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
- सीमेंट और निर्माण सामग्री: भारत की रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की मांग को देखते हुए इस सेक्टर में उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी।
- गैस और बिजली: स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत और वितरण नेटवर्क को और मजबूत किया जाएगा।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद बनी स्थिरता की मिसाल
अडानी समूह ने वर्ष 2023 की शुरुआत में अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों का सामना किया। रिपोर्ट में समूह पर कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे, जिससे समूह की बाजार पूंजी 150 अरब डॉलर तक गिर गई थी। लेकिन गौतम अडानी ने बताया कि तमाम आरोपों और जांचों के बावजूद समूह ने पीछे हटने के बजाय आगे बढ़ने का रास्ता चुना।
उनके अनुसार, अडानी समूह के किसी भी व्यक्ति पर अमेरिकी कानून, Foreign Corrupt Practices Act (FCPA) के उल्लंघन का कोई सीधा आरोप नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व ने संकटों के बीच अपना धैर्य बनाए रखा और साबित किया कि असली नेतृत्व कठिनाइयों में निखरता है।
रिपोर्ट के बाद समूह में दिखा सुधार
हिंडनबर्ग विवाद के बाद भी अडानी समूह की अधिकांश कंपनियों के शेयर में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला है। चेयरमैन ने बताया कि वित्तीय वर्ष में समूह का कुल राजस्व 2,71,664 करोड़ रुपये रहा, जो 7% की वृद्धि है। वहीं, समायोजित कर पूर्व आय (EBITDA) 8.2% बढ़कर 89,806 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
इससे स्पष्ट है कि समूह की कारोबारी रणनीतियां स्थिरता और विकास पर केंद्रित हैं और यह संकट के समय में भी ग्रोथ दिखाने में सक्षम है।
कानूनी प्रक्रिया का सम्मान और वैश्विक मानकों का पालन
गौतम अडानी ने कहा कि उनकी कंपनियां वैश्विक मानकों के अनुसार संचालन करती हैं और कानूनी प्रक्रिया का पूरा सम्मान करती हैं। उन्होंने माना कि आज की दुनिया में नकारात्मकता को सच्चाई से अधिक महत्व मिलता है, लेकिन उनका विश्वास है कि समय के साथ सच्चाई सामने आती है।
उन्होंने दोहराया कि अडानी समूह भविष्य में भी हर कानूनी जांच और प्रक्रिया में सहयोग करता रहेगा और संचालन में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अडानी बनाम अंबानी: भारत के दो दिग्गज उद्योगपति
गौतम अडानी फिलहाल एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं, पहले नंबर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी हैं। दोनों उद्योगपतियों के निवेश क्षेत्र में कुछ समानताएं जरूर हैं, लेकिन अडानी का फोकस विशेष रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी पर है, जबकि अंबानी की रणनीति डिजिटल, रिटेल और एनर्जी के इर्द-गिर्द घूमती है।
गौतम अडानी का मानना है कि उनका समूह भारत को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम कर रहा है। उनका निवेश मॉडल न केवल कारोबारी विस्तार को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।