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अमेरिका के बाद रूस भी पाकिस्तान के पक्ष में? JF-17 इंजन डील पर सस्पेंस, जानें पूरी डिटेल

अमेरिका के बाद रूस भी पाकिस्तान के पक्ष में? JF-17 इंजन डील पर सस्पेंस, जानें पूरी डिटेल

रूस के पाकिस्तान को JF-17 फाइटर जेट्स के लिए RD-93MA इंजन सप्लाई करने की खबरों ने भारत में राजनीतिक बहस शुरू कर दी है। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है, जबकि रूस ने इसे खंडित किया है। भारत-रूस के रक्षा संबंधों के बीच यह मामला सुरक्षा और क्षेत्रीय संतुलन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

रूस के पाकिस्तान को JF-17 थंडर फाइटर जेट्स के लिए RD-93MA इंजन देने की खबरों ने भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार की आलोचना की, जबकि रूस ने अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की। भारत और रूस के दशकों पुराने रक्षा संबंधों के बीच यह मुद्दा सुरक्षा और क्षेत्रीय संतुलन की चिंता को बढ़ा रहा है। पाकिस्तान के रक्षा आयात में तेजी और JF-17 ब्लॉक III की टेक्नोलॉजी इस विवाद को और संवेदनशील बना रही है।

पूरा मामला क्या है

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारत की आपत्ति के बावजूद रूस पाकिस्तान को RD-93MA इंजन सप्लाई कर सकता है। हालांकि, रूस ने अब तक इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान इस इंजन का इस्तेमाल JF-17 थंडर फाइटर जेट में लंबे समय से कर रहा है। JF-17 चीन और पाकिस्तान का संयुक्त प्रोजेक्ट है, जिसमें रूस के RD-93MA इंजन का इस्तेमाल होता रहा है। चीन ने रूस से इंजन खरीदकर पाकिस्तान को सप्लाई करने का काम किया है।

भारत-रूस के गहरे संबंध

भारत और रूस के बीच रक्षा, स्पेस और परमाणु ऊर्जा सहित कई सेक्टर्स में गहरे संबंध रहे हैं। दोनों देशों ने दिसंबर में वार्षिक शिखर सम्मेलन की भी योजना बनाई है। इस सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नई दिल्ली का दौरा करेंगे। इस बीच, भारत “मेक इन इंडिया” पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2020–24 के दौरान भारत के कुल डिफेंस इक्विपमेंट आयात में रूस की हिस्सेदारी 36% रही। यह 2015-19 के 55% और 2010-14 के 72% की तुलना में काफी कम है। इसी अवधि में भारत के कुल रक्षा आयात में 9.3% की गिरावट भी दर्ज की गई।

पाकिस्तान के रक्षा सौदे

पाकिस्तान के रक्षा आयात में हालिया वर्षों में तेजी देखी गई है। 2015–19 से 2020–24 के बीच पाकिस्तान का कुल डिफेंस आयात 61% बढ़ा। SIPRI के अनुसार, इस अवधि में पाकिस्तान के कुल डिफेंस आयात में 4.6% हिस्सेदारी थी, जिसमें 81% हथियार चीन से आए। RD-93MA इंजन और PL-15 मिसाइल वाले JF-17 ब्लॉक III वर्जन से पाकिस्तान की वायुसेना की ताकत बढ़ सकती है।

इस मामले ने भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जून 2025 में इस डील पर आपत्ति जताई थी, फिर भी यह प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। रमेश ने इस मुद्दे को “ऑपरेशन सिंदूर” का उदाहरण बताते हुए JF-17 के इस्तेमाल को लेकर भी सवाल उठाए।

रूस-पाक डील: भारत की सुरक्षा पर क्या असर होगा?

रूसी डिफेंस एक्सपर्ट प्योत्र तोपिच्कानोव का मानना है कि यह डील भारत के लिए ज्यादा नई चुनौती नहीं होगी। भारत पहले से ही JF-17 के परफॉरमेंस को देख चुका है। इसके कारण भारत के लिए इसका मुकाबला करना अपेक्षाकृत आसान रहेगा। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह डील पाकिस्तान की वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए रणनीतिक महत्व रखती है।

हालांकि रूस की तरफ से अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक और सामरिक चर्चा लगातार तेज हो रही है। भारत को अपनी सुरक्षा रणनीति में इस डील की संभावित प्रभावों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने होंगे। इसके अलावा, भारत-रूस के बीच लंबी अवधि के रक्षा सहयोग और तकनीकी साझेदारी पर भी यह नया मोड़ प्रभाव डाल सकता है।

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