Columbus

अमेरिका में शटडाउन से गहराया आर्थिक और मानवीय संकट, फूड बैंकों पर लगीं लंबी कतारें

अमेरिका में शटडाउन से गहराया आर्थिक और मानवीय संकट, फूड बैंकों पर लगीं लंबी कतारें

अमेरिका इस समय गंभीर आर्थिक और प्रशासनिक संकट से गुजर रहा है। सरकारी खजाने में धन की कमी और राजनीतिक गतिरोध के कारण पिछले 24 दिनों से चला आ रहा सरकारी शटडाउन अब अभूतपूर्व रूप ले चुका है। इसके चलते लाखों सरकारी कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं।

वॉशिंगटन: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहे जाने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन ने देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को हिला दिया है। यह शटडाउन अब अपने 24वें दिन में प्रवेश कर चुका है और इसे अमेरिका के इतिहास का दूसरा सबसे लंबा शटडाउन माना जा रहा है। लाखों सरकारी कर्मचारी वेतन न मिलने से परेशान हैं, फूड बैंकों के बाहर मुफ्त भोजन के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं, और बच्चों की पढ़ाई तक ठप हो गई है।

फूड बैंकों पर उमड़ी भीड़, भूख का संकट बढ़ा

अमेरिका के मैरीलैंड, कैलिफ़ोर्निया, एरिज़ोना और टेक्सास जैसे राज्यों में हजारों लोग फूड बैंकों के सामने मुफ्त भोजन के लिए घंटों लाइन में खड़े नज़र आ रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रुकने और फूड सहायता योजनाओं के बंद होने के कारण लोगों के पास रोजमर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं।

फूड बैंक अब चंदे और दान के सहारे भोजन इकट्ठा कर रहे हैं और इसे गरीबों, बेसहारा लोगों और बेरोजगार सरकारी कर्मचारियों में बाँट रहे हैं। लेकिन मांग इतनी बढ़ गई है कि कई फूड बैंकों में खाने की कमी हो गई है। अमेरिका की कृषि मंत्री ब्रूक रॉलिंस ने हालात पर चिंता जताते हुए कहा, “शटडाउन की वजह से करोड़ों परिवार मुश्किल में हैं। फूड स्टैंप और सरकारी सहायता योजनाएं बंद होने से लोग भूखे रहने को मजबूर हैं।

ठप पड़ी SNAP फूड स्टैंप योजना

अमेरिका का Supplemental Nutrition Assistance Program (SNAP), जिसे आमतौर पर फूड स्टैंप योजना कहा जाता है, लगभग 4 करोड़ अमेरिकी नागरिकों को हर महीने भोजन सहायता प्रदान करता है। लेकिन सरकारी खजाना खाली होने के कारण यह योजना पूरी तरह ठप हो चुकी है। SNAP सेवा की निदेशक जीना प्लाटा-निनो ने बताया, “फूड बैंक अपनी क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं, लेकिन वे SNAP की जगह नहीं ले सकते। जहां फूड बैंक एक व्यक्ति को खाना देते हैं, वहीं SNAP नौ लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है।

उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती महंगाई और फंड की कमी के चलते जरूरतमंदों की मदद करना अब बेहद मुश्किल हो गया है। शटडाउन का सबसे गहरा प्रभाव बच्चों की शिक्षा और पोषण योजनाओं पर पड़ा है। अमेरिका में गरीब बच्चों के लिए चलने वाला HeadStart Program सरकारी फंडिंग न मिलने से ठप हो गया है।

इस योजना के तहत 65,000 गरीब बच्चों और हजारों शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है। मिसौरी राज्य में कई स्कूलों ने अस्थायी रूप से अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं, और कई शिक्षक बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं। हेडस्टार्ट प्रोग्राम की निदेशक केसी लॉसन ने कहा, “हमारे संगठन को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है। जिन स्कूलों में हम 2,300 से ज्यादा बच्चों की मदद करते थे, वहां अब कक्षाएं बंद हैं। यह स्थिति बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक है।”

लाखों नौकरियां गईं, हवाई सेवाएं प्रभावित

शटडाउन के चलते कई सरकारी विभागों को अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ा है। नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 1,400 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है, जो देश की परमाणु सुरक्षा सुविधाओं में काम करते थे। अमेरिका के ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने कहा, “हमारी वित्तीय क्षमता समाप्त हो चुकी है। सरकारी फंड खत्म हो गया है, जिसके कारण हमें अपने कर्मचारियों को वापस भेजना पड़ रहा है।”

एयरपोर्ट सेवाओं पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। सैलरी न मिलने से हवाई कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है और 6,000 से अधिक उड़ानें रोजाना देरी से चल रही हैं। कई कर्मचारी अब वैकल्पिक नौकरियों की तलाश में हैं, जिससे हवाई यातायात और भी प्रभावित हो रहा है। शटडाउन की मार अमेरिकी सेना पर भी पड़ी है। सेना, नौसेना, एयरफोर्स और मरीन के हजारों जवानों की सैलरी रुकी हुई है। ट्रंप प्रशासन सैनिकों की सैलरी के लिए इमरजेंसी फंड का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन संसद की मंजूरी के बिना यह सीमित है।

चौंकाने वाली बात यह है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि उनके एक गुप्त दानदाता ने सैनिकों की सैलरी के लिए 130 मिलियन डॉलर का चेक भेजा है। ट्रंप ने कहा, मेरे एक मित्र ने सैनिकों की मदद के लिए निजी तौर पर दान दिया है ताकि वेतन का संकट खत्म हो सके। इस बीच, जर्मनी ने अपने यहां तैनात 12,000 अमेरिकी सैनिकों की सैलरी के लिए 58 मिलियन यूरो (करीब 600 करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद की पेशकश की है।

राजनीतिक टकराव बना संकट की जड़

यह संकट तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति ट्रंप के बजट प्रस्तावों को अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने मंज़ूरी नहीं दी। इससे सरकार के पास फंड की कमी हो गई और कई योजनाओं को रोकना पड़ा। ट्रंप प्रशासन इस शटडाउन के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी को जिम्मेदार ठहरा रहा है, जबकि विपक्ष का आरोप है कि राष्ट्रपति ने समझौते के लिए लचीलापन नहीं दिखाया।

अमेरिका में भूख और फूड बैंकों की कतारें जहां चिंता का विषय बनी हैं, वहीं भारत ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पिछले कई वर्षों से 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम माना जाता है।

Leave a comment