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बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस तेज़: धर्मेंद्र प्रधान, सुनील बंसल या शिवराज सिंह चौहान, किस पर लगेगी मुहर?

बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस तेज़: धर्मेंद्र प्रधान, सुनील बंसल या शिवराज सिंह चौहान, किस पर लगेगी मुहर?

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। अब यह चुनाव जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह तक के लिए टल सकता है।

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। हालांकि अभी तक किसी नाम पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन कुछ चेहरे लगातार चर्चा में हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संगठन के रणनीतिकार सुनील बंसल और कुछ अन्य नेता संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं। 

इस बार अध्यक्ष पद के चुनाव में सिर्फ संगठनात्मक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जातीय संतुलन, संघ की सहमति और आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति भी अहम भूमिका निभा रही है।

चुनाव में देरी के दो बड़े कारण: संगठन और सहमति

बीजेपी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब किया जा सकता है जब कम से कम आधे राज्यों में पार्टी संगठन के चुनाव पूरे हो जाएं। लेकिन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में अभी यह प्रक्रिया अधूरी है। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच संभावित नामों को लेकर मतभेद भी सामने आए हैं।

सूत्रों के अनुसार, आरएसएस चाहता है कि अगला अध्यक्ष ऐसा हो जो संगठन को नई ऊर्जा दे सके, जबकि बीजेपी नेतृत्व एक ऐसा चेहरा चाहता है जो राजनीतिक रूप से संतुलन बनाए रखे और 2024 के लोकसभा चुनाव में आई गिरावट को संभाल सके। इसलिए इस बार फैसला लेने में देरी हो रही है।

जुलाई-अगस्त तक हो सकता है ऐलान

बीजेपी सूत्रों का मानना है कि जेपी नड्डा फिलहाल जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह तक अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। इस समयावधि में राज्य इकाइयों के चुनाव पूरे करने और संभावित नामों पर संघ-बीजेपी के बीच सहमति बनाने की कोशिशें चल रही हैं।
पार्टी यह भी चाहती है कि बिहार विधानसभा चुनाव (अक्टूबर-नवंबर 2025) नए अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जाए, जिससे नए नेतृत्व को एक सशक्त आरंभ मिल सके।

कौन हैं शीर्ष दावेदार?

1. धर्मेंद्र प्रधान

ओडिशा से आने वाले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को संगठन और सरकार दोनों का अनुभव है। वे प्रधानमंत्री मोदी के भरोसेमंद सहयोगियों में गिने जाते हैं। ओबीसी वर्ग से आने के कारण जातीय समीकरणों के लिहाज से भी वे मजबूत उम्मीदवार हैं।

2. शिवराज सिंह चौहान

हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटे शिवराज सिंह चौहान का नाम भी चर्चा में है। वे बीजेपी के पुराने और लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। आरएसएस के साथ उनके रिश्ते मजबूत हैं, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उनकी उम्र और सरकार से अलग पृष्ठभूमि को लेकर आश्वस्त नहीं है।

3. सुनील बंसल

वर्तमान में पार्टी महासचिव के रूप में कार्यरत सुनील बंसल को संगठन में काफी असरदार माना जाता है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में उनके रणनीतिक कौशल के कारण बीजेपी को कई चुनावों में सफलता मिली। वे आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं और संघ का मजबूत समर्थन उनके पक्ष में हो सकता है।

4. भूपेंद्र यादव और जी. किशन रेड्डी

भूपेंद्र यादव, जो संगठन और संसदीय रणनीति के माहिर माने जाते हैं, को भी संभावित उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं, तेलंगाना से आने वाले जी. किशन रेड्डी को दक्षिण भारत से चेहरा बनाने की संभावना के रूप में देखा जा रहा है।

संगठन में संतुलन और भविष्य की रणनीति अहम

बीजेपी के सामने चुनौती सिर्फ नाम तय करने की नहीं है, बल्कि यह भी तय करना है कि नया अध्यक्ष पार्टी को आगामी चुनावों में कैसे मजबूती देगा। 2024 लोकसभा चुनावों में सीटों में आई कमी और विपक्ष के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो राजनीतिक-प्रचारक के साथ-साथ संगठन-संचालक की भूमिका में फिट बैठता हो।

वहीं, कुछ नेताओं का मत है कि अध्यक्ष पद किसी युवा चेहरे को दिया जाए, जो नई पीढ़ी और डिजिटल युग के साथ बेहतर संवाद बना सके। इसके विपरीत, कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यह वक्त अनुभवी नेतृत्व का है, जो संघ और सरकार दोनों के साथ सामंजस्य बना सके।

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