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भारत के सेवा क्षेत्र ने पकड़ी रफ्तार, जुलाई में पीएमआई पहुंचा 11 महीने के उच्चतम स्तर पर

भारत के सेवा क्षेत्र ने पकड़ी रफ्तार, जुलाई में पीएमआई पहुंचा 11 महीने के उच्चतम स्तर पर

जुलाई 2025 में भारत के सेवा क्षेत्र ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी और पीएमआई सूचकांक 60.5 पर पहुंच गया, जो बीते 11 महीनों में सबसे ऊंचा स्तर है। इस बढ़त की वजह नए ऑर्डर, अंतरराष्ट्रीय मांग और उत्पादन में तेजी रही। वित्त और बीमा क्षेत्र ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया जबकि रियल एस्टेट की रफ्तार धीमी रही।

भारत के सेवा क्षेत्र ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 11 महीने की सबसे तेज ग्रोथ दर्ज की है। एसएंडपी ग्लोबल और एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने सेवा क्षेत्र का पीएमआई 60.5 रहा, जो जून के 60.4 से हल्का ऊपर है। यह बढ़त नए ऑर्डर, अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिले ऑर्डर और उत्पादन में तेजी के चलते दर्ज की गई। खासतौर पर वित्त और बीमा क्षेत्र में तेजी रही, जबकि रियल एस्टेट और बिजनेस सर्विस में सुस्ती देखी गई।

जून के मुकाबले जुलाई में हल्की बढ़त

जून 2025 में सेवा क्षेत्र का पीएमआई 60.4 था, जो जुलाई में हल्के से बढ़कर 60.5 पर पहुंचा। हालांकि यह बढ़त मामूली लग सकती है, लेकिन इसके पीछे छिपी रफ्तार काफी मजबूत रही है। यह लगातार चौथा महीना है जब पीएमआई सूचकांक 60 से ऊपर बना हुआ है और 50 के तटस्थ स्तर से काफी ऊपर बना हुआ है। यह दिखाता है कि सेवा क्षेत्र में कारोबारी गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं।

विज्ञापन और नए ग्राहक बने तेजी के कारण

एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज पीएमआई सर्वे के मुताबिक, इस तेजी के पीछे कई अहम कारण हैं। सबसे बड़ी वजह रही नए ऑर्डर में आई जबरदस्त बढ़ोतरी। सर्वे में शामिल कंपनियों ने बताया कि उन्हें विज्ञापन और ब्रांड प्रचार से अच्छे नतीजे मिले हैं। साथ ही नए ग्राहक जुड़ने से कारोबार में विस्तार हुआ है।

साल की दूसरी सबसे बड़ी तेजी

जुलाई की यह तेजी पूरे एक साल की दूसरी सबसे बड़ी ग्रोथ मानी जा रही है। इससे पहले अगस्त 2024 में इस तरह की रफ्तार देखी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, मांग में लगातार सुधार हो रहा है और कंपनियों को भविष्य को लेकर उम्मीदें भी बढ़ी हैं।

सिर्फ देश के भीतर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों से भी सेवा क्षेत्र को जबरदस्त समर्थन मिला है। सर्वे में बताया गया कि विदेशों से खासकर एशिया, कनाडा, यूरोप, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे बाजारों से ऑर्डर मिलने में तेजी आई है। विदेशी ऑर्डर की रफ्तार साल की दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है।

वित्त और बीमा क्षेत्र सबसे आगे

सभी सेवा क्षेत्रों में अगर तुलना की जाए, तो फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। इन्हें सबसे ज्यादा नए ऑर्डर और गतिविधियों का फायदा मिला है। वहीं दूसरी ओर रियल एस्टेट और बिजनेस सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ धीमी रही है। यहां नए ऑर्डर और डिमांड में अपेक्षित तेजी नहीं देखी गई।

इनपुट और आउटपुट की कीमतों में भी इजाफा

जुलाई में केवल कारोबार ही नहीं बढ़ा, बल्कि लागत और बिक्री दोनों की कीमतों में भी थोड़ा इजाफा दर्ज किया गया। कंपनियों ने बताया कि इनपुट यानी कच्चे माल और संसाधनों की कीमतों में बढ़त हुई है, जिसका असर आउटपुट प्राइस यानी उनकी सेवाओं की कीमतों पर भी पड़ा है। जून की तुलना में यह बढ़ोतरी थोड़ी ज्यादा रही।

एचएसबीसी की प्रमुख अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा है कि सेवा पीएमआई के ये आंकड़े मजबूत ग्रोथ के संकेत देते हैं। खासतौर पर नए निर्यात ऑर्डर ने सेक्टर की ग्रोथ में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य को लेकर कंपनियों में उम्मीद जगी है, हालांकि अभी भी यह वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के स्तर से थोड़ा नीचे बनी हुई है।

सीपीआई और डब्ल्यूपीआई आंकड़ों का असर

भविष्य की कीमतों को लेकर कुछ अनिश्चितता बनी हुई है। प्रांजुल भंडारी के मुताबिक, हाल ही में जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आंकड़े बताते हैं कि आने वाले महीनों में इनपुट और आउटपुट कीमतों में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इससे महंगाई के मोर्चे पर कुछ असर संभव है।

कंपनियों का भरोसा बढ़ा

सर्वे में भाग लेने वाली कंपनियों का कहना है कि उन्हें अपने कारोबार को लेकर अब ज्यादा भरोसा है। नए ग्राहक, बढ़ती मांग और बेहतर अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर के चलते वे उत्पादन और सेवाओं के विस्तार की योजना बना रही हैं। जुलाई में कारोबारी भरोसे का स्तर भी पहले से ज्यादा दर्ज किया गया।

इस बढ़ती गतिविधि के बीच यह संभावना भी जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं। जब कंपनियां ज्यादा ऑर्डर और उत्पादन की दिशा में बढ़ती हैं, तो उन्हें कर्मचारियों की जरूरत भी अधिक होती है। जुलाई में कुछ कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की बात कही है।

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